दिल्ली/एनसीआर

क्या कांग्रेस के पास राहुल गांधी से बेहतर विकल्प नहीं ?

नयी दिल्ली। कांग्रेस को दीवाली से पहले नया अध्यक्ष मिल जाएगा। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) ने कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के कार्यक्रम में मुहर लगा दी है। हालांकि सीडब्ल्यूसी की बैठक में उम्मीदवार के नाम को लेकर चर्चा नहीं हुई। आपको बता दें कि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता चाहते हैं कि राहुल गांधी दोबारा से अध्यक्ष पद को स्वीकार करें लेकिन विगत अनुभवों को देखते हुए राहुल गांधी इस पद को नहीं स्वीकारना चाहते हैं। इसके बावजूद लगातार वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी ने गांधी परिवार के बाहर के किसी शख्स को उम्मीदवार बनाए जाने के संकेत दे दिए थे।

राहुल को क्यों बनाना चाहते हैं अध्यक्ष ?

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से यह पद खाली है और सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। कहा ये जा रहा है कि जीत का स्वाद चखने पर कांग्रेस नेताओं की खूब वाहवाही हुई लेकिन हार की जिम्मेदारी महज राहुल गांधी ने अपने कंधे पर उठाई, जो एक बेहतर नेतृत्व को दर्शाता है। ऐसे में समझिए कि क्यों राहुल गांधी को अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए नेता मना रहे हैं।

राहुल को मिले थे 12 करोड़ वोट

अंग्रेजी समाचार पत्र ‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कांग्रेस महासचिव का कहना है कि राहुल गांधी के पास 12 करोड़ मतदाताओं का वोट शेयर है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जो भी वोट मिले वो राहुल गांधी के नाम पर मिले थे क्योंकि चुनाव उन्ही के नाम पर लड़ा गया था। कांग्रेस महासचिव का मानना है कि किसी अन्य विपक्षी नेता को इतने वोट नहीं मिले। कांग्रेस को अब इस वोट बैंक का निर्माण करना है। जब ब्रांड रागा पर हमले हो रहे थे, तब कांग्रेस नेताओं ने हमले का जवाब नहीं दिया, लेकिन कार्यकर्ताओं ने हमेशा ऐसा किया। पार्टी में एक आम धारणा है कि हमें ब्रांड रागा को मजबूत करना होगा क्योंकि इसकी गूंट राष्ट्रीय स्तर पर है।

आपको बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने ‘राफेल’ का मुद्दा उठाया था और ‘चौकीदार चोर है’ अभियान लॉन्च कर दिया था। लेकिन यह अभियान असफल रहा। इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस को मात देने के लिए ‘मैं भी चौकीदार हूं’ अभियान चलाया। जिसको खूब जनसमर्थन मिला था।

2018 में किया था सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

साल 2012 से लेकर 2022 के बीच में कांग्रेस ने साल 2018 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। जब राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे। उस वक्त राहुल गांधी ने युवा नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपकर कांग्रेस में जान फूंक दी थी। जिसका नतीजा था कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक में सरकार का गठन किया। उस वक्त कर्नाटक में गठबंधन सरकार का गठन हुआ था। इसके अलावा कांग्रेस ने गुजरात में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। खैर वो बात दूसरी है कि गुजरात की जिम्मेदारी अशोक गहलोत को सौंपी गई थी। अगर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आपत्तिजनक बयान न दिए होते तो शायद कांग्रेस का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था।

G-23 ने निभाई थी अहम जिम्मेदारी

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण से लेकर अभियान तक एक कोर कमिटी का गठन किया गया था, जिसका राहुल गांधी हिस्सा नहीं थे। उस वक्त तमाम फैसले जी-23 के वरिष्ठ नेताओं ने लिए थे। लेकिन जब चुनाव परिणाम सामने आए तो राहुल गांधी ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

मोदी सरकार के खिलाफ ले रहे लोहा

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पूरे विपक्षी खेमे में राहुल गांधी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो लगातार मुद्दों को उठाते रहे हैं और मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगरी ने बताया कि राहुल गांधी एकमात्र ऐसे नेता हैं जो महंगाई, जीएसटी जैसे मुद्दों पर सरकार से लोहा ले रहे हैं। ऐसे समय में जब ईडी, सीबीआई है। ऐसे में महज वे ही राहुल गांधी के साथ चल सकते हैं जिनको इन एजेंसियों से डर नहीं लगता है।

तमिलनाडु से कांग्रेस के सांसद जोतिमणि ने बताया कि राहुल गांधी इस देश के एकमात्र नेता हैं जो वास्तव में लोगों की परवाह करते हैं; लोगों के अधिकारों के साथ-साथ मुद्दों के लिए लड़ते हैं और सबसे बढ़कर, भाजपा, आरएसएस की विभाजनकारी विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाते हैं जो देश की आत्मा को चोट पहुंचा रही है। राहुल गांधी ने जो भी मुद्दे उठाए, जैसे कि फार्म बिल, कोरोना, जीएसटी, कश्मीर, चीन सीमा विवाद ऐसे में सरकार को आखिरकार उनकी बात माननी पड़ी।

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