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शिक्षा बनेगी शस्त्र, बाल विवाह का होगा अंत

जन एक्सप्रेस/ चित्रकूट: राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति के सचिव शंकर दयाल ने कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को खत्म करने में शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है। सरकार ने 14 साल तक मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया है, लेकिन गरीब परिवारों की बेटियां आगे की पढ़ाई नहीं कर पातीं क्योंकि उनका बाल विवाह कर दिया जाता है। यह बुराई आजादी से पहले और बाद से ही समाज में मौजूद है। बाल विवाह से लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा पर बुरा असर पड़ता है, जिससे उनका जीवन सीमित हो जाता है।

महिला साक्षरता और बाल विवाह में गहरा संबंध
शोध और आंकड़ों से साफ होता है कि जहां महिला साक्षरता दर ज्यादा है, वहां बाल विवाह की घटनाएं कम हैं। उदाहरण के लिए, केरल में महिला साक्षरता दर 96% है और बाल विवाह का प्रचलन केवल 6% है। मिजोरम में भी 93% साक्षरता दर के साथ बाल विवाह केवल 8% है। इसके विपरीत, बिहार में महिला साक्षरता दर 61% है और बाल विवाह की दर 41% है। हालांकि, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में उच्च साक्षरता दर के बावजूद बाल विवाह की दर अधिक है, जो दर्शाता है कि अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक कारक भी जिम्मेदार हैं।

18 साल तक मुफ्त शिक्षा अनिवार्य हो
बाल विवाह जैसी बुराई को खत्म करने के लिए शिक्षा को 18 साल तक मुफ्त और अनिवार्य करना जरूरी है। इससे न केवल लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जा सकती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया जा सकता है। कौशल विकास और रोजगार से जोड़कर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का मौका दिया जा सकता है। यह कदम सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में भी मदद करेगा और समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा।

बाल विवाह रोकने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी
देश में बाल विवाह का प्रचलन हर राज्य में अलग-अलग है, लेकिन इसका समाधान शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और सख्त कानूनों से संभव है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, 20-24 आयु वर्ग की 23.3% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो गई थी। इसे रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने, प्रशासनिक तंत्र मजबूत करने और लड़कियों को शिक्षा एवं कौशल विकास के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। सामूहिक प्रयास से ही यह सामाजिक बुराई खत्म की जा सकती है।

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