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भगवान श्री कृष्ण के चरण-चिन्हों को मिलेगी नई पहचान

धौलपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर एक बड़ी घोषणा की है। भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की ये घोषणा भगवान श्री कृष्ण की अपनी जन्मभूमि मथुरा से लेकर अपनी शिक्षा स्थली उज्जैन में की गई लीलाओं के संबंध में है। राजस्थान सरकार अब अपने पड़ोस की मध्य प्रदेश की सरकार के साथ मिल कर इसी मार्ग पर ” श्री कृष्ण गमनपथ” का निर्माण करेगी, जिससे भगवान श्रीकृष्ण के चरण-चिन्हों को नई पहचान मिलेगी। देश और दुनिया में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण शिक्षा ग्रहण करने के लिए मथुरा से राजस्थान के रास्ते होते हुए मध्य प्रदेश में उज्जैन गए थे। अब राजस्थान सरकार की मंशा ” श्री कृष्ण गमन पथ” के रूप में मार्ग पर पड़ने वाले स्थानों को धार्मिक आस्था के केंद्रों के तौर पर विकसित करने की है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की मौके पर अपने गृह जिले डीग के दौरे पर आए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मध्यप्रदेश सरकार के साथ सहयोग करके श्री कृष्ण गमन पथ निर्माण करने का ऐलान किया है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक इस कवायद में मथुरा में श्री कृष्ण जन्म स्थान को राजस्थान के भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर,कोटा, बूंदी तथा झालावाड़ होते हुए मध्य प्रदेश के उज्जैन तक जोड़ा जाएगा। भगवान श्री कृष्ण अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए उज्जैन के पौराणिक महत्व के गुरु सांदीपनि आश्रम गए थे तथा वहां रह कर उन्होंने 64 कलाओं की शिक्षा प्राप्त की थी। श्री कृष्ण गमन पथ की लंबाई करीब 700 किलोमीटर होगी तथा इसके निर्माण पर करीब 3000 करोड रुपये की राशि खर्च की जाएगी। मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के मथुरा से उज्जैन तक कुल सात मंदिरों को जोड़ कर श्री कृष्ण गमन पथ बनाने की योजना है।

महाकाल नगरी के नाम से देश और दुनिया में चर्चित मध्यप्रदेश उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही उज्जैन जिले में ही महिदपुर तहसील में स्थित श्री कृष्ण मंदिर में श्रीकृष्ण और उनके मित्र सुदामा साथ-साथ विराजे हैं। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के ही जानापाव में श्रीकृष्ण ने महर्षि परशुराम से सुदर्शन चक्र लिया। मध्यप्रदेश के धार के अमझेरा में रुक्मिणी हरण को लेकर युद्ध हुआ था। इस कवायद में उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्म स्थान एवं द्वारकाधीश मंदिर से लेकर राजस्थान के डीग जिले के कामां में स्थित श्री गोकुल चंद्रमा मंदिर एवं श्री मदन मोहन मंदिर, भरतपुर के बिहारी जी मंदिर, करौली के मदन मोहन मंदिर, बूंदी के चारभुजा मंदिर, कोटा के मथुराधीश मंदिर एवं झालावाड़ के द्वारकाधीश मंदिर को भी श्री कृष्ण गमन पथ में जोड़ा जाएगा।

राजस्थान एवं मध्य प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में बनने वाले श्री कृष्ण गमन पथ में धौलपुर को भी शामिल करने का आग्रह स्थानीय नागरिकों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से किया है। धौलपुर में स्थित तीर्थराज मचकुंड सरोवर को सभी तीर्थ का भांजा होने का गौरव प्राप्त है। मान्यता ऐसी है कि सभी तीर्थ का स्नान करने के बाद मचकुंड सरोवर में स्नान करके ही पूरी धार्मिक यात्रा को पूर्ण माना जाता है। जिले के शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ इतिहासकार अरविंद शर्मा बताते हैं कि श्रीमद भागवत के 10 वें स्कन्ध के 51वें अध्याय के 14 वें श्लोक पर मुचुकुन्द महाराज की गुफा का उल्लेख है, जिसमें महाराज मुचकुंद सोये हुये थे। कालयवन श्री कृष्ण का पीछा करता हुआ आ रहा था, तब श्री कृष्ण ने अपना पीताम्बर वस्त्र गुफा मेंं सो रहे मुचुकुन्द महाराज पर डाल दिया।

कालयवन राक्षस ने पीताम्बर वस्त्र ओढे हुए मुचुकन्द महाराज को श्री कृष्ण समझकर लात मार कर उनकी निंद्रा भंग कर दी । उनकी नींद खुली और देवताओं द्वारा दिये वरदान के कारण मुचुकुन्द महाराज के क्रोध से कालयवन भस्म हो गया। तब श्री कृष्ण ने महाराज मुचुकुन्द के नेतृत्व में एक यज्ञ कराया। उस विशाल यज्ञ कुण्ड ही आज मचकुंड सरोवर के रूप में धौलपुर में स्थित है। बताते चलें कि इससे पूर्व भी धौलपुर को केंद्रीय कृष्णा सर्किट में शामिल करने की मांग होती रही है। अब “श्री कृष्ण गमन पथ” में धौलपुर को शामिल करके इस मांग का भी सम्मान हो सकेगा। बताते चलें कि राजस्थान की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा स्वयं धौलपुर आकर मचकुंड सरोवर क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं।

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