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चिरंजीवी योजना नहीं होती तो घर बिक जाते- गहलोत

जयपुर । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की बजट पूर्व बैठक में डॉक्टरों के चिरंजीवी योजना को सदी की सबसे असफल योजना बताने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है। गहलोत ने निजी अस्पतालों के डॉक्टरों पर झूठ बोलकर अच्छी योजना और मेडिकल के पवित्र पेशे को बदनाम करने का आरोप लगाया है। गहलोत ने सोशल मीडिया में बयान जारी कर तल्ख अंदाज में पलटवार किया है।

गहलोत ने एक्स पर लिखा कि कल बजट पूर्व चर्चा में किसी डॉक्टर का मेरे ऑपरेशन पर तथ्यात्मक रूप से गलत बयान मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है। मेरा हर्निया का ऑपरेशन फरवरी 2019 में हुआ था, जबकि चिरंजीवी योजना मई 2021 से शुरू हुई थी। गहलोत ने लिखा कि मेरी आर्टरी में ब्लॉकेज, पैरों के अंगूठों में फ्रैक्चर और कोविड के बाद हैप्पी हाइपोक्सिया होने पर इलाज एसएमएस अस्पताल में ही हुआ। इसके कारण मैं कुछ दिन भर्ती भी रहा। सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर ही इलाज करवाया। चिरंजीवी योजना से लाखों लोगों के जीवन में सुधार हुआ है।

उन्होंने लिखा कि अगर ये योजना न होती तो न जाने कितने गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों के जमीन-जायदाद इलाज में बिक जाते। निजी अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों को ऐसा असत्य बोलकर एक अच्छी योजना और मेडिकल जैसे पवित्र पेशे को को बदनाम करने से बचना चाहिए। हमारी सरकार ने ‘राइट टू हेल्थ’ का कानून बनाया। इससे आपातकालीन परिस्थितियों में फ्री इलाज हो सके। वर्तमान सरकार को डॉक्टर एसोसिएशन के साथियों को विश्वास में लेकर ‘राइट टू हेल्थ’ के नियम जल्द से जल्द बनाकर लागू करने चाहिए। इससे राजस्थान के हर निवासी को इलाज का अधिकार मिले।

सीएम भजनलाल ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को बजट पूर्व परामर्श बैठक की थी। इसमें एसोसिएशन की ओर से कहा गया था कि चिरंजीवी योजना की असफलता के कारण ही जनता ने कांग्रेस सरकार को सिरे से नकार दिया है। डॉक्टर की तरफ से कहा गया था कि योजना में निजी अस्पतालों को मुफ्त इलाज के बदले जो राशि दी जाती है, वो बेहद कम है। ऐसे में राजस्थान में निजी अस्पताल ठीक से संचालित नहीं हो पा रहे हैं। इससे राजस्थान में जो मेडिकल टूरिज्म बढ़ रहा था, वो अब रिवर्स होने लगा है।

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