
जन एक्सप्रेस देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का जन्मदिन इस बार कुछ अलग, बेहद भावुक और दिल को छू लेने वाला रहा। उत्तराखंड प्रवास के दौरान जब वे देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टिहीन दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) पहुंचीं, तो वहां दृष्टिबाधित बच्चों ने उन्हें गीतों के माध्यम से जन्मदिन की बधाई दी।
जैसे ही बच्चों ने फिल्मी गीत “बार बार दिन ये आए, बार बार दिल ये गाए, तू जिए हजारों साल…” गाना शुरू किया, पूरे सभागार का माहौल भावनाओं से भर उठा। गीत के अंत तक राष्ट्रपति की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। मंच पर मौजूद केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार और राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) भी इन भावुक क्षणों में खुद को रोक नहीं सके।
मां सरस्वती इनके कंठ में विराजमान हैं: राष्ट्रपति
अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “जब मैं इन बच्चों को गाते हुए देख रही थी, मेरी आंखें भर आईं। ये बच्चे गले से नहीं, दिल से गा रहे थे। ऐसा लगता है जैसे मां सरस्वती इनके कंठ में विराजमान हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भगवान जब किसी से कोई एक इंद्रिय लेता है, तो उसे कुछ ऐसा विशेष दे देता है जो उसे बाकी लोगों से अलग बना देता है।
बच्चों ने बांधा समा, सभागार तालियों से गूंज उठा
गीत समाप्त होने के बाद जब बच्चों ने राष्ट्रपति को जन्मदिन की बधाई दी, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। बच्चों की मधुर आवाज़ और निष्कलंक भावनाओं ने हर किसी का दिल जीत लिया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर बच्चों के आत्मविश्वास और प्रतिभा की खुले दिल से सराहना की।
भावनाओं से भीगा हुआ दिन
यह कार्यक्रम न सिर्फ राष्ट्रपति के लिए, बल्कि वहां मौजूद हर व्यक्ति के लिए एक यादगार और भावुक अनुभव बन गया। जन्मदिन के इस खास मौके पर दृष्टिबाधित बच्चों की मासूम शुभकामनाएं और गीतों की मधुरता ने हर किसी को गहरे स्पर्श कर दिया।