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यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन के खिलाफ जांच के लिए सख्त हुए हाईकोर्ट

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव और यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन अनिल सागर पर कार्यवाही करने को लेकर हाईकार्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। जिसके कारण उत्तर प्रदेश सरकार बैक फुट पर आ गई है। सोमवार तक अगर शासन स्तर पर कोई आवश्यक और ठोस जवाब नहीं दिया तो अनिल सागर की मुश्किलें बढ़ने वाली है। क्योंकि हाईकोर्ट खंडपीठ सरकार के कार्यवाही नहीं करने के स्थिति में सीबीआई से जांच कराने की बात कही है। जिसको लेकर शासन प्रशासन समेत ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और क्षेत्र में।हड़कंप मच गया है।

ज्ञात हो कि यमुना अथॉरिटी द्वारा भूखंड आवंटन से लेकर रद्दीकरण और बहाली के खेल की कहानी जमकर चर्चा में थी। जिसको लेकर असंतुष्ट समाजसेवी ने न्यायालय में याचिक लगाकर अनिल सागर के खिलाफ जांच कार्यवाही की मांग किया था। जिसके बाद हाईकोर्ट में जो व्यक्तिगत हलफनामे दिए उनसे अनियमिताओं की परत दर परत खुलकर सामने आई। जिसके बाद कोर्ट सख्त हुई है।

अधिकारियों की वजह से नाहक बदनाम हो रही योगी सरकार

नोएडा हो या गाजियाबाद विकास प्राधिकरण हो या आवास विकास परिषद अथवा नोएडा की अथॉरिटी सभी कार्यालयों में अधिकारियों में नियुक्ति और पदों के किए मारामारी है। जिसके पीछे बिल्डर्स प्रोजेक्ट और उनकी खामियां प्रमुख है। जिसमें कार्यवाही और निस्तारण में बड़ा लंबा खेल खेला जा रहा है। रुके हुए प्रोजेक्टों के खिलाफ विभागीय अधिकारी खूब पत्राचार सरकार के निर्देश के नाम पर करते हैं। योगी आदित्यनाथ के पारदर्शी शासन और सख्त निर्देश को ढाल बनाकर अधिकारी कार्यवाही का खेल खेल रहे हैं। विशेष कृपा होने के बाद सभी कागजी कार्यवाही का तोड़ फिर से कागजी बंडल बनकर फाइलों में दबकर रह जा रहे हैं।

आवास विकास परिषद और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जीडीए सहित ग्रेटर नोएडा, नोएडा और यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में जमकर अवैध कालोनियां कट रही हैं विभाग के अधिकारी बुल्डोजर भी चला रहे हैं। लेकिन बुल्डोजर का पंजा निजी स्वार्थ की पूर्ति होने के बाद फिर से सदा के लिए उन्हीं बिल्डर्स के आगे हाथ जोड़े खड़ी हो जाती है। जो कभी विध्वंसक होती थी वह याचक बनकर अवैध निर्माण की बढ़ती गति को और गति देने लगती है।

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में सबसे ज्यादा अवैध कालोनियां हो रही विकसित

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के छपरौला में सहारा सिटी और समतल औद्योगिक क्षेत्रों में हो अवैध निर्माण और कट रही अवैध कालोनियों के खिलाफ भाजपा के दादरी क्षेत्र के विधायक तेजपाल नागर और खतौली से रालोद विधायक मदन भैया के कड़े तेवर के बाद प्रशासन कुंभकर्णी निद्रा से उठा जरूर और खूब जमकर अवैध निर्माण के खिलाफ सहारा सिटी में अभियान भी चलाया लेकिन एक अभियान के बाद लंबी राजनीतिक बैठकी और भेंट के बाद सारी कार्यवाही फिर से ठंडे बस्ते में चली गई है। ग्रेटर नोएडा के क्षेत्रीय अधिकारी से लेकर प्रभारी तक सबके पास आवश्यक सुविधा सेवा अनवरत चल रही है। जिसके कारण समतल औद्योगिक और सहारा सिटी फिर से गुलज़ार हो गई है।

इसी प्रकार गाजियाबाद में भी ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों तक जमकर मानचित्र स्वीकृति को नजरंदाज करके जमकर ढाई की जगह पांच मंजिल और एक ही प्लॉट पर 20 – 20 फ्लैट निर्माण धड्डले से हो रहा है। मुख्यमार्गों पर धड़ल्ले से आवासीय प्लॉट पर व्यावसायिक इमारत जीडीए अधिकारियों कृपा से दिनरात खड़ी होने में लगी है। जिसके कारण अधिकारियों की फ़ौज विकास प्राधिकरण और अथॉरिटी के क्षेत्र में नियुक्ति के लिए लखनऊ की गणेश प्रक्रिमा करते नजर आते हैं।

मुख्यमंत्री का विभाग फिर भी अधिकारी बेखौफ

शहरी नियोजन प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ के अधीन है। जिसमें प्रदेश के समस्त विकास प्राधिकरण, आवास विकास परिषद समेत भूमि संबंधी विभाग आते हैं। उसके बाद भी अधिकारी बेखौफ होकर अवैध निर्माण को जमकर प्रश्रय दे रहे हैं। पांच पांच मंजिला इमारत और नक्शे को दर किनार करके लगातार बनती चली जा रही हैं। उसमें विभाग के लखनऊ और स्थानीय शीर्ष प्रबंधन में बैठे तथाकथित अधिकारी संरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं। कुछ क्षेत्रीय माननीय और दबंग बिल्डर्स सत्ता के प्रभाव का इस्तेमाल करके धड़ल्ले से अवैध कालोनियों में बिना नक्शा स्वीकृत करवाए निर्माण करके जनता को फ्लैट बेचकर मोटी कमाई कर रहे हैं।

साहिबाबाद के 3 औद्योगिक क्षेत्र में राजबाग मेट्रो स्टेशन के पास ऐसे सत्ता संरक्षित और जीडीए की कृपा से अवैध कालोनियों के बड़े बड़े अवैध निर्माण सरकार और जीडीए प्रशासन की कार्यवाही की कलई खोलता है। ये तो बहुचर्चित इलाका है, जहां जीडीए का बुल्डोजर जाने से भी।घबराता है। जबकि विभाग छोटे।छोटे अतिक्रमण की खबरें प्रचारित करके ऐसे बड़े अवैध निर्माणों को संरक्षित करता है। दिल्ली से सटे इलाके कौशांबी, वैशाली और इंदिरापुरम समेत जीडीए के बेशकीमती जगहों पर जीडीए के अधिकारियों की खोखली कार्यवाही अवैध निर्माण की बढ़ती गति देखकर कोई भी कर सकता है। जिन्हें मुख्यमंत्री के विभाग के मुखिया होने अथवा उनके निर्देश की अनदेखी का जरा भी खौफ नहीं रह गया है।

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