भारतीय सेना प्रमुख मिस्र के दौरे पर, आपसी हित के मुद्दों पर होगी चर्चा

नई दिल्ली । थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे 16 मई से दो दिवसीय यात्रा पर मिस्र जायेंगे। यात्रा के दौरान सेना प्रमुख मेजबान देश के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व से मुलाकात करके भारत-मिस्र रक्षा संबंधों को आगे ले जाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। वह मिस्र के विभिन्न सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों का भी दौरा करेंगे और आपसी हित के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
सेना प्रमुख मिस्र के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ, रक्षा और सैन्य उत्पादन मंत्री और मिस्र के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ के साथ बातचीत करेंगे। वह मिस्र के सशस्त्र बल ऑपरेशन्स प्राधिकरण के प्रमुख के साथ व्यापक विचार-विमर्श भी करेंगे। थल सेनाध्यक्ष की यह यात्रा दोनों सेनाओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगी। साथ ही रणनीतिक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ समन्वय और सहयोग बढ़ाने में सहयोग करेगी।
मिस्र के साथ भारत के सैन्य संबंध बढ़ रहे हैं, जो भारत के 74वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान स्पष्ट दिखा था। इस परेड में मिस्र के सशस्त्र बलों के एक दल ने अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देह फ़तह अल-सीसी इस परेड के मुख्य अतिथि थे। भारतीय और मिस्र की सेनाओं के विशेष बलों ने इस वर्ष जनवरी में राजस्थान के जैसलमेर में ‘अभ्यास साइक्लोन-I’ नाम का पहला संयुक्त अभ्यास किया था। यह अपनी तरह का पहला सैन्य अभ्यास था, जिसमें दोनों देशों के विशेष बल संयुक्त रूप से एक मंच पर एकत्रित हुए थे।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पिछले साल सितंबर में मिस्र की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गए थे। उन्होंने भी यात्रा के दौरान मिस्र के रक्षा उत्पादन मंत्री जनरल मोहम्मद जकी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करके द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की समीक्षा की थी। भारत और मिस्र के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर भी हुए थे। भारतीय वायु सेना ने पिछले साल जून माह में मिस्र के काहिरा पश्चिम एयरबेस में हुए सामरिक हवाई कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 57 वायु योद्धाओं के साथ पांच लड़ाकू विमान भेजे थे।
इससे पहले अक्टूबर, 2021 में भारत और मिस्र की वायु सेनाओं ने संयुक्त रूप से वायु अभ्यास ‘डेजर्ट वारियर’ किया था, जो दोनों देशों के बीच पहला वायु सैनिक अभ्यास था। इस दौरान सेना से सेना के संबंधों की नई शुरुआत करने के साथ ही दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा की गई थी। अमेरिका, इटली और सऊदी अरब के बाद भारत मिस्र का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।