मंत्रालयिक कर्मचारियों ने आरटीडीसी चेयरमैन का घेराव किया

जयपुर । पिछले दो माह से राजधानी जयपुर में महापड़ाव डाल बैठे मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगों पर महापड़ाव और आमरण अनशन के बाद भी सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं होने से नाराजगी बढ़ गई है। मंत्रालयिक कर्मचारियों ने गहलोत सरकार के मंत्रियों को घेरना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में गुरुवार सुबह ही महापड़ाव से रवाना होकर बड़ी संख्या में कर्मचारी पहले तो जलदाय मंत्री महेश जोशी के बंगले पहुंचे। जोशी के नहीं मिलने पर आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के फ्लैट पर पहुंच घेराव किया। हालांकि, करीब 2 घंटे तक राठौड़ के फ्लैट पर धरना देने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में अब कर्मचारी महासंघ ने शुक्रवार से जल समाधि का एलान किया है।
समान काम-समान वेतन की मांग को लेकर जयपुर में महापड़ाव कर रहे कर्मचारी गुरुवार को आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के फ्लैट पर पहुंचे। करीब 2 घंटे तक धर्मेंद्र राठौड़ और कर्मचारियों के बीच बातचीत हुई लेकिन इस बातचीत में कोई समाधान नहीं निकला। राठौड़ ने कर्मचारियों से कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर संवेदनशील है। जो वित्तीय मांग है, उनके लिए कमेटी बना दी जाएगी और गैर वित्तीय मांग के लिए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्तर पर बात करेंगे। कर्मचारी इस पर सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा कि आश्वासन बहुत हो गया, अब फैसला चाहिए। कर्मचारियों ने धर्मेंद्र राठौड़ के रवाना होने के साथ ही एलान कर दिया कि अब सरकार से मांग मनवाने के लिए वे उग्र आंदोलन करेंगे।
कर्मचारी नेता मुकेश मुद्गल ने बताया कि धर्मेंद्र राठौड़ ने आश्वस्त किया है कि वह कर्मचारियों की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से बात करेंगे, लेकिन हमें अब आश्वासन नहीं चाहिए। 60 दिन से कर्मचारी राजधानी जयपुर में महापड़ाव डाले हुए हैं, लेकिन सरकार कर्मचारियों की मांगों पर कोई निर्णय नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी की प्रमुख मांग ग्रेड पे में जो संशोधन गहलोत सरकार में हुआ था, उसे बीजेपी सरकार के वक्त वापस ले लिया गया उसे वापस बहाल किया जाए। इसके अलावा सचिवालय कर्मचारियों के समकक्ष कर्मचारियों को वेतन दिया जाए और जो कर्मचारियों की वेतन कटौती हो रही है उसे वापस लिया जाए, यह प्रमुख मांग है जिसे सरकार को पूरा करना है। इनमें से वेतन कटौती को वापस लेने की बात कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले अपने घोषणापत्र में भी की थी।
कर्मचारी नेता नीलम यादव ने कहा कि सरकार संवेदनशीलता की बात करती है, लेकिन अनशन पर बैठे कर्मचारी हॉस्पिटल में भर्ती हैं। महापड़ाव में शामिल कर्मचारियों की मौत हो गई फिर किस लिहाज से सरकार को संवेदनशील कहा जा सकता है। कर्मचारी 7 दिन से महापड़ाव डाले हुए हैं। महिलाएं बच्चों के साथ में महापड़ाव में शामिल है, किस तरह से सरकार को संवेदनशील कहा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को अगर कर्मचारियों को लेकर संवेदनशीलता होती तो आश्वासन देना बंद करें और जो वाजिब मांगे हैं उन्हें पूरा करें।






