पाकिस्तान में अब बाढ़ के चलते फैल रहीं बीमारियों
पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ के चलते अब महामारियां फैलने लगी हैं। सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में अब सड़ते हुए पानी से बीमारियां तक पैना होने लगी हैं। सरकार द्वारा देश भर में लगाए गए राहत शिविरों में लोग डायरिया, त्वचा संबंधी बीमारियों और आंखों में संक्रमण से प्रभावित हो रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांतों में से एक सिंध में पिछले 24 घंटे में डायरिया के 90,000 से ज्यादा मामले आए हैं। एक दिन पहले पाकिस्तान और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बाढ़ प्रभावितों के बीच जलजनित बीमारियों के फैलने पर चिंता प्रकट की थी।
पाकिस्तान ने समय पूर्व मॉनसून और भारी बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन को मुख्य कारण बताया है। जून के बाद से अचानक आई बाढ़ में 1191 लोगों की मौत हुई है और 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। करीब 10 लाख मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस संकट के चलते पाकिस्तान आर्थिक परेशानी भी झेल रहा है और आईएमएफ समेत दुनिया भर से मदद मांगी है। देश के अधिकांश हिस्सों में बाढ़ का पानी कम होता जा रहा है, लेकिन सिंध प्रांत के दक्षिणी हिस्से में कई जिलों में अब भी पानी नहीं घटा है। बाढ़ से विस्थापित हुए लगभग पांच लाख लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। सिंध के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अजरा फजल पेचुहो ने कहा कि प्रांत में बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रभावित लोगों के इलाज के लिए हजारों चिकित्सा शिविर लगाए गए हैं।
64 लाख लोगों को मदद की जरूरत, गंभीर बीमारियों से हो रहे पीड़ित
मोबाइल चिकित्सा इकाइयों को भी तैनात किया गया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह डायरिया, हैजा और अन्य संक्रामक रोगों के लिए निगरानी बढ़ा रहा है और स्वास्थ्य केंद्रों को चिकित्सा आपूर्ति प्रदान कर रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि शुरू में ज्यादातर मरीज बाढ़ से सदमाग्रस्त थे। लेकिन, अब डायरिया, त्वचा संक्रमण और अन्य जलजनित बीमारियों से पीड़ित हजारों लोग इलाज करवा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली कई गर्भवती महिलाओं को भी जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनपीएफ) के अनुसार पाकिस्तान में 64 लाख बाढ़ प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
पुल और सड़कें हुईं तबाह, इन देशों ने अब तक भेजी मदद
यूएनपीएफ ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 6,50,000 गर्भवती महिलाओं को मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, जिनमें से 73,000 के अगले महीने प्रसव होने की संभावना है। इस बीच, सेना के सहयोग के साथ बचाव टीम ने फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए अभियान जारी रखा। बचाव टीम ज्यादातर नावों का इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन उन क्षेत्रों से फंसे लोगों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर भी उड़ान भर रहे हैं, जहां पुल और सड़कें नष्ट हो गई हैं।