Supreme Court पहुंचा ओडिशा रेल हादसा मामला
ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए रेल हादसे की जांचकर्ता मानवीय त्रुटि, सिग्नल फेल होने और अन्य संभावित पहलुओं से जांच की जा रही है। इसी बीच ट्रेन एक्सीडेंट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। विशाल तिवारी नाम के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के संबंध में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में कवच सिस्टम को जल्द लागू किए जाने को लेकर मांग की गई है।कवच सिस्टम दुर्घटना से बचाने वाला सिस्टम है। इसके साथ ही मांग की गई है कि घटना की जांच के लिए पूर्व जज की निगरानी में आयोग का गठन किया जाए। वहीं रेलवे सुरक्षा को लेकर भी पूर्व जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाए जाने की मांग हुई है।
सौंपी गई रिपोर्ट
अधिकारियों ने इस भयावह रेल हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंप दी है। हादसे में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हुई और 1100 से अधिक यात्री घायल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ आपदा प्रबंधन दलों के अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी। उन्होंने अस्पताल में कुछ घायलों से भी मुलाकात की। मोदी ने कहा, ‘‘अपना दर्द बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। रेल हादसे के लिए दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।’’ बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ।
दोनों यात्री ट्रेन में करीब 2500 यात्री सवार थे। दुर्घटना में 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए। दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है। रेल हादसे के बाद करीब 90 ट्रेन को रद्द किया गया है जबकि 46 ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया गया। इसके साथ ही 11 ट्रेन को उनके गंतव्य से पहले ही रोक दिया गया है।
हादसे के कारण प्रभावित ज्यादातर ट्रेन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन की हैं। दुर्घटना स्थल ऐसा लग रहा था, जैसे एक शक्तिशाली बवंडर ने रेलगाड़ी के डिब्बों को खिलौनों की तरह एक दूसरे के ऊपर फेंक दिया हो। मलबे को हटाने के लिए बड़ी क्रेन को लाया गया और क्षतिग्रस्त डिब्बों से शव निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया।