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देवशयनी एकादशी आज: क्षीर सागर में विश्राम करेंगे श्री हरि विष्णु

जयपुर । आषाढ़ शुक्ल एकादशी बुधवार को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। मंदिरों में विशेष आयोजन और उत्सव होंगे। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी के बाद पांच बजे पंचामृत से ठाकुरजी का अभिषेक किया जाएगा। ठाकुरजी को लाल रंग की नवीन नटवर वेशभूषा धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण पहनाए जाएंगे।

ग्वाल झांकी के बाद 4:45 से 5:35 तक देवशयनी पूजन होगा। इस दौरान ठाकुरजी के दर्शन पट बंद रहेंगे। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शालिग्राम भगवान को चांदी के रथ में विराजमान कर दक्षिण-पश्चिम कोने स्थित तुलसा मंच ले जाया जाएगा। यहां मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी पंचामृत से शालिग्रामजी का अभिषेक करेंगे। पूजा, भोग, आरती के बाद मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी शालिग्रामजी और तुलसी महारानी की चार पक्रिमा करेंगे। इसके बाद शालिग्रामजी भगवान को चांदी के खाट पर शयन कराकर पुन: मंदिर की परिक्रमा कर गर्भगृह में शयन का भाव कराया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालुओं को संध्या झांकी के दर्शन होंगे।

एकादशी पर ठाकुरजी को बिजौना दाल, पंच मेवा और फलों का भोग अर्पित होगा।

118 दिन भोलेनाथ संभालेंगे सत्ता

श्रीहरि विष्णु सृष्टि की सत्ता के संचालन का भार भगवान भोलेनाथ को सौंपकर 118 दिन के लिए योग निद्रा में जाकर विश्राम करेंगे। आदिदेव महादेव सृष्टि का कार्यभार 11 नवंबर तक अपने पास रखेंगे और 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर पुन: श्रीहरि के जागने पर उन्हें सत्ता सौंप देंगे।

ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर इस बार तीन खास योगों का संयोग बन रहा है, जो आगामी चार माह के लिए शुभ फलदायी एवं मंगलकारी रहेंगे। इनमें सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और बुधादित्य योग रहेगा। देवशयनी एकादशी पर इस बार सूर्योदय से रात 11.18 तक सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग एक साथ रहेंगे। सूर्य और बुध के कर्क राशि में एक साथ रहने से बुधादित्य योग भी रहेगा। यह तीनों योग खरीदारी एवं कार्यों की सफलता के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।

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