उत्तर प्रदेश

विशेष सचिव पशुधन का भ्रष्टाचार से रहा है पुराना नाता

यूपीएलडीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. नीरज गुप्ता के भ्रष्टाचार मामलों की जांच कर रही तीन सदस्यीय जांच कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय विशेष सचिव पशुधन का भ्रष्टाचार से पुराना नाता रहा है।

जन एक्सप्रेस/लखनऊ। यूपीएलडीवी (उत्तर प्रदेश लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. नीरज गुप्ता के भ्रष्टाचार मामलों की जांच कर रही तीन सदस्यीय जांच कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय विशेष सचिव पशुधन का भ्रष्टाचार से पुराना नाता रहा है। पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के जांच के आदेश के बावजूद भी डेढ़ महीने तक जांच शुरू ही नहीं कराई गई। जांच कमेटी में विशेष सचिव के अलावा वित्त नियंत्रण पशुपालन विभाग बृजेश कुमार और संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग के डॉ. संजय श्रीवास्तव शामिल हैं।

वेटनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों का आरोप है कि डॉ. नीरज गुप्ता के भ्रष्टाचार के आरोपों की जानबूझकर जांच शुरू नहीं कराई गई। मिलीभगत से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने में कहीं न कहीं इनकी भी संलिप्तता हो सकती है। इससे पहले भी डीएम रहते इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उस मामले में सस्पेंड किए गए थे।

कंपोजिट ग्रांट घोटाले में हुए थे निलंबित

उन्नाव डीएम रहते साल 2020 में देवेंद्र कुमार पांडेय को कंपाजिट ग्रांट घोटाले में उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जांच में दोषी पाया था। जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने देवेंद्र कुमार पांडेय के खिलाफ एक्शन लेने और एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश शासन से की थी। लखनऊ कमिश्नर की जांच में भी आईएएस देवेंद्र कुमार पांडेय को दोषी पाया गया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई करते हुए 23 फरवरी 2020 को देवेंद्र कुमार पांडेय को सस्पेंड कर मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी थी।

करीबियों को पहुंचाया था फायदा

तत्कालीन उन्नाव डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय पर कंपोजिट ग्रांट के तहत जारी किए गए 9.73 करोड़ रुपए में धांधली के आरोप लगे थे। इस राशि के तहत उन्नाव जिले के 2,305 प्राइमरी और 832 जूनियर स्कूलों के लिए कुर्सी, मेज, टाट-पट्टी, शिलापट, चॉक, स्टेशनरी, बाल्टी, कूड़ेदान, मिड डे मील के बर्तन और खेल का सामान खरीदना था। डीएम रहते देवेंद्र कुमार पांडेय ने अपने करीबियों की फर्मों से सांठगांठ करके सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया था।

कीमत से ज्यादा सामान के बसूले थे दाम

आरोप था कि देंवेंद्र कुमार ने मिलीभगत कर स्कूलों के लिए सामान खरीदे और सरकारी दस्तावेजों में कीमत बढ़ाकर दिखाई। फर्जी बिल बनाए गए। इस मामले की शिकायत समाजवादी पार्टी एमएलसी सुनील सिंह साजन ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के पास की थी। मुख्यमंत्री ने इस मामले का संज्ञान लिया और लखनऊ कमिश्नर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि जौनपुर की एक फर्म को ही ज्यादा ठेके दिए गए। इस फर्म का जीएसटी नंबर भी नहीं था।

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