सरकार के भीतर ही दिख रहा अंतर…
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस पत्र का जवाब दिया जिसमें उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद में कांग्रेस और सभी दलों से सहयोग मांगा था। खड़गे ने अपने पत्र में लिखा था कि एक ही दिन में आदरणीय प्रधानमंत्री देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ते हैं और उसी दिन गृहमंत्री भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव वर्षों से दिख रहा था, अब यह खाई सत्तापक्ष के अंदर भी दिखने लगी है।
खड़गे ने क्या कहा
खड़गे ने अपने जवाब में लिखा कि इस पर प्रधान मंत्री द्वारा विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से हम सदन में आकर मणिपुर पर बयान देने का आग्रह कर रहे हैं परंतु ऐसा लगता है कि उनका ऐसा करना उनके सम्मान को ठेस पहुँचाता है। हमारी इस देश की जनता के प्रति प्रतिबद्धता है और हम इसके लिए हर कीमत देंगे। वहीं, राज्यसभा में उन्होंने कहा कि मैं अपने मुद्दों को सदनों के सामने रख रहा था, और जब 50 लोगों ने 267 पर ध्यान दिया, तो मुझे सदन में बोलने का मौका भी नहीं मिला। ठीक है। लेकिन कम से कम जब मैं बोल रहा हूं तो मेरा माइक बंद कर दिया गया, ये मेरे विशेषाधिकार को धक्का है। ये मेरा अपमान हुआ है।
अमित शाह का पत्र
गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं- लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर संसद में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए उनका सहयोग मांगा है। गृह मंत्री ने ने विपक्ष के नेताओं को लिखे पत्र में कहा कि सरकार मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और सभी से अपनी पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठकर सहयोग करने का अनुरोध करती है। संसद में 20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित है