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जिनका कोई इतिहास नहीं, वे दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं

कांग्रेस जबरदस्त तरीके से सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वो दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं! ‘विशेष बैठक’ में नाम बदलने का निर्णय लिया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो 29 सदस्यीय निकाय के उपाध्यक्ष हैं, ने इसकी अध्यक्षता की।
खड़गे का हमला
अपने एक ट्वीट में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वो दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं! उन्होंने कहा कि नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदलने के कुत्सित प्रयास से, आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की शख़्सियत को कम नहीं किया जा सकता। इससे केवल भाजपा-आरएसएस की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैये का परिचय मिलता है। मोदी सरकार की बौनी सोच, ‘हिन्द के जवाहर’ का भारत के प्रति विशालकाय योगदान कम नहीं कर सकती!

कांग्रेस को आपत्ति
कांग्रेस नेता जयराम रमेश में इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। 59 वर्षों से अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का ख़ज़ाना घर रहा है। उन्होंने कहा कि अब से इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम और सोसायटी कहा जाएगा। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एक छोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है।

क्यों बदला गया नाम
कांग्रेस के विरोध के बावजूद भी इसका नाम बदला गया। बताया जा रहा है कि 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने नेहरू मेमोरियल को भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने की बात कही थी। 25 नवंबर 2016 को एनएमएमएल की बैठक में इसे मंजूरी भी दे दी गई थी। अब यह योजना पूरी हो गई है। इसके बाद किसका नाम बदला गया है। 21 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। लेकिन कांग्रेस लगातार विरोध करती रही है। सरकार का मानना है कि यह म्यूज़ियम स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र के सामूहिक यात्रा को दर्शाता है और सभी प्रधानमंत्री के योगदान पर भी केंद्रित है।

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