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राज्यपाल के पद के लिए पहन लेते हैं मुखौटा

कानून और न्याय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने कहा कि बहुत कम सहिष्णु मुसलमान हैंऔर यहां तक ​​कि जो सहिष्णु दिखते हैं, वे सार्वजनिक जीवन में बने रहने और राज्यपाल और उपराष्ट्रपति बनने के लिए इसे “मुखौटे” के रूप में इस्तेमाल करते हैं। मंत्री ने आरएसएस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। इनकी संख्या हजारों में भी नहीं है।

यह भी एक युक्ति है। मास्क लगाकर सार्वजनिक जीवन में रहना है। यह मार्ग फिर राज्यपाल और उपराष्ट्रपति या कुलपति के घर की ओर जाता है। लेकिन जब वे वहां से सेवानिवृत्त होते हैं, तो वे अपने मन की बात कहने लगते हैं।

बघेल ने संविधान के मूल ढांचे पर बहस का जिक्र करते हुए कहा कि देश का मूल ढांचा हिंदू राष्ट्र है। लोग संविधान की मूल संरचना के बारे में बात करते रहते हैं और यह कैसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इस राष्ट्र की मूल संरचना 1192 से पहले अखंड भारत हिंदू राष्ट्र की है।

बघेल ने यहां महाराष्ट्र सदन में आयोजित वार्षिक नारद पत्रकार सम्मान समरोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि मैं (राम मनोहर) लोहिया जी के इस विचार से कभी सहमत नहीं हूं कि गौरी और गजनवी लुटेरे थे जबकि अकबर, दारा शुकोह और रजिया सुल्तान हमारे पूर्वज थे।

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