बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट ने क्यों कहा- नहीं माना तो अफसरों को जेल भेज देंगे
सुप्रीम कोर्ट ने जाति के आधार पर सफाई और रसोई के काम को लेकर जेलों में भेदभाव को बताया अनुच्छेद-15 का उल्लंघन। सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति के लड्डू में ‘पशु चर्बी’ विवाद की नए सिरे से SIT जांच के दिए आदेश दिए। दिल्ली NCR में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी। सुप्रीम कोर्ट ने मजदूर के बेटे का आईआईटी में एडमिशन करवाया। इस सप्ताह यानी 30 सितंबर से 05 अक्टूबर 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
लड्डू विवाद की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई नई एसआईटी
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति में मिलावटी घी से लड्डु मामले की सुनवाई के दौरान आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई। नई एसआईटी को सीबीआई डायरेक्टर मॉनिटर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह कोर्ट को राजनीतिक अखाड़ा बनने की इजाजत नहीं देगा। जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच के सामने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई थी कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT का गठन कर लड्डू में मिलावटी घी के इस्तेमाल मामले की जांच कराई जाएँ। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की आलोचना की थी, क्योकि उन्होंने इस मामले में पब्लिक में बयान दिया था।
तोड़फोड़ पर आदेश न माना तो जेल भेज देंगे
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि अगर उसने यह देखा कि गुजरात में तोड़फोड़ को लेकर अधिकारियों ने उनके आदेश का उल्लंघन किया है तो वह तोड़े गए स्ट्रक्चर को फिर से बहाल करने का आदेश पारित करेंगे। बेंच ने कहा कि अगर हमें लगता है कि वे हमारे आदेश की अवमानना कर रहे हैं, तो हम न केवल उन्हें जेल भेजेंगे, बल्कि उनसे यह सब बहाल करने के लिए कहेंगे। बेंच ने कहा कि उनका पिछला आदेश सभी पर समान रूप से लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगा है और सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर की तारीख तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कोर्ट के 17 सितंबर के आदेश के कथित उल्लंघन के मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई की।
जाति देखकर कैदी को काम देना असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने 11 राज्यों में जेल नियमावली में जाति आधारित भेदभाव वाले प्रावधान को गुरुवार को खारिज कर दिया। इन प्रावधानों के तहत जाति के आधार पर जेल में कैदियों को काम दिया जाता रहा है। जाति के आधार पर ही बैरक में रखने का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें असंवैधानिक बताते हुए राज्यों से कहा कि तीन महीने में नियमावली बदलें। भेदभाव रोकना उनका दायित्व है। यह फैसला महाराष्ट्र के कल्याण की निवासी सुकन्या शांता द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने कुछ राज्य जेल मैनुअल में प्रचलित जाति-आधारित भेदभाव पर प्रकाश डाला था। याचिका में केरल जेल नियमों का हवाला दिया गया है, जो आदतन अपराधियों और फिर से दोषी ठहराए गए अपराधियों के बीच अंतर पैदा करते हैं।
पराली पर फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि इसने पराली जलाने से रोकने के लिए अपने ही निर्देशों को लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया। सीएक्यूएम ने पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं चलाया है। न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका ने कहा कि किसी भी कारण से कोई भी सीएक्यूएम के आदेशों के उल्लंघन के लिए लोगों पर मुकदमा नहीं चलाना चाहता। सब जानते हैं कि चर्चा के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। यही इसकी कड़वी सच्चाई है।
दलति छात्र ने सुप्रीम कोर्ट में जीती जंग
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), धनबाद में फीस जमा न करने के कारण सीट गंवाने वाले एक दलित युवक को संस्थान से उसे बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता।