तो सुजीत पांडे की हत्या ना होती? कौन बचा रहा है मधुकर को?
अशोक यादव की हत्या में किसने बचाया था मधुकर को?
कमलेश फाइटर/राजेश सिंह
लखनऊ। जिन मधुकर यादव की तलाश में पुलिस की टीमें जगह-जगह दबिश दे रही है उसकी लोकेशन ट्रेस कर रही हैं उस मधुकर यादव को कौन संरक्षण दिए हुए हैं? तथा किसने उसे नगर पंचायत मोहनलालगंज का चेयरमैन बनवा देने की पेशकश की थी? इसके अलावा जब नवंबर 2019 को फौजी अशोक यादव की भरे बाजार मोहनलालगंज में हत्या की गई थी तो उस वारदात में भी मधुकर यादव को किसने बचाया था? यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर सुजीत पांडे से ताल्लुक रखने वाला हर एक व्यक्ति चाहता है।
जन एक्सप्रेस तहकीकात टीम को अपनी पड़ताल में पता चला है कि यदि फौजी अशोक यादव की हत्या में कथित अभियुक्त मधुकर यादव और अनमोल यादव को उनकी वास्तविक जगह पर पहुंचा दिया जाता तो शायद सुजीत पांडे की हत्या ना होती। बताते चले कि अशोक यादव हत्याकांड को अशोक के परिजनों ने मधुकर यादव के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन उसका बाल बांका इसलिए नहीं हुआ क्योंकि थाना मोहनलालगंज तथा तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक पूरी तरह से मैनेज थे। इस काम के लिए मधुकर ने पचास लाख रुपये थाने पर तथा पचास लाख रुपये सत्तारूढ़ दल के एक शक्तिशाली विधायक को दिए थे ( जन एक्सप्रेस उसका नाम पता है)। यह सारी डील बसपा के एक बाहुबली पूर्व सांसद ने निभायी थी (उसका नाम भी ज्ञात है)। वहीं पूर्व सांसद इस समय भी मधुकर को संरक्षण दिये हैं तथा यह सब कुछ भाजपा के उक्त विधायक को भी ज्ञात है।
‘जन एक्सप्रेस’ को पड़ताल के दौरान यह भी पता चला है कि अशोक यादव हत्याकांड में जीना अनमोल यादव को पुलिस ने उठाया था उसके साथ वीआईपी ट्रीटमेंट किए जाने के भी निर्देश दिए गए थे साथ ही यह भी हितायत थी कि उसे एक भी थप्पड़ मारा न जाए और खाना बाहर से मंगवा कर खिलाया जाए। तभी तो पुलिस ने उसे मोहनलालगंज के ‘निशा ढाबा’ में रखा था और जब तक डील फाइनल नहीं हुई तब तक पूछताछ की बात कही जाती रही।
‘जन एक्सप्रेस’ को यह भी पता चला है कि सुजीत पांडे की हत्या में कई बड़ों के हाथ है, जिन्होंने मधुकर यादव के कंधे पर बंदूक रखकर मन माफिक टारगेट को निशाना बनाया। मधुकर को उस ‘काकश’ ने बताया कि तुम नगर पंचायत मोहनलालगंज के चेयरमैन बन सकते हो बशर्ते सुजीत पांडे किनारे लग जाएं। इतना ही नहीं इसी ‘काकश’ ने मधुकर को पूरी तरह से सरकारी तथा राजनीतिक संरक्षण देने का वादा भी किया। यही कारण है कि मधुकर अभी फरार है और तब तक फरार रहेगा जब तक सारा कुछ सेटलमेंट नहीं हो जायेगा। क्षेत्र के लोगों का कहना था कि यदि समय रहते मधुकर की गतिविधियों पर अंकुश न लगाया गया तो नगर पंचायत चुनाव से पहले कुछ भी हो सकता है। ‘जन एक्सप्रेस’ ने अपने एक जनवरी के अंक में लिखा था कि जिन मुलायम और अरुण को पुलिस की टीम ने उठाया था उनका पर्दाफाश करने के लिए पहले मोहनलालगंज थाना क्षेत्र तय किया गया था लेकिन बाद में मुठभेड़ आशियाना क्षेत्र में दिखाया गया। यह इसकी पुष्टि करता है और उसके पास इस बात का पुख्ता सबूत है कि एसीपी कैंट बीनू सिंह तथा एसीपी मोहनलालगंज प्रवीण मलिक के बीच इस बात को लेकर काफी गरमा गरमी भी हुई थी।
नागरिकों का यह कहना था कि सत्ता पक्ष का अकारण इस तरह सक्रिय होना तथा सुजीत पांडे की तेरहवीं (शनिवार) में पुलिस कमिश्नर का आना अपने आप में तमाम सवाल छोड़ जाते हैं क्योंकि सुजीत पांडे अपने क्षेत्र में यकीनन काफी लोकप्रिय थे लेकिन सत्ता पक्ष की राजनीति में उनका कोई खास दखल नहीं था। जिस समय शनिवार को पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर स्वर्गीय सुजीत पांडे के घर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर रहे थे उस वक्त मधुकर यादव कचहरी में आत्मसमर्पण करने के लिए घूम रहा था ऐसा कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने जन एक्सप्रेस को बताया।
तहकीकात के दौरान जब जन एक्सप्रेस टीम मोहनलालगंज के ही निकट स्थित यशोहा (रानी खेडा) आयल मिल पहुंची तो पता चला कि एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत एफएसडीए के अधिकारियों ने मधुकर,पुष्कर और हिमकर यादव को नौ महीने बाद जेल भेजने की कार्यवाई की थी, ताकि इस बीच सुजीत पांडे का काम लगाया जा सके और उस पर आंच ना आने पाए लेकिन इसी बीच मधुकर की 2 दिन पहले जमानत हो गई इसलिए कहानी थोड़ी बदल गयी। जबकि वह मामला मार्च का था। अब पुलिस एफएसडीए के अधिकारियों को जांच के घेरे में लेने की बात कर रही है।
(अगले अंक में पढ़िए एफएसडीए और मधुकर का कनेक्शन, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक तथा मधुकर का कनेक्शन के साथ सुजीत हत्याकांड का मधुकर कनेक्शन)