उत्तर प्रदेश

बरेली: नशा छुड़वाने हर महीने जिला अस्पताल पहुंच रहे 350 लोग….

बरेली: आज के दौर में नशा तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। बड़ों से लेकर अब बच्चे भी नशा के आदी होते जा रहे हैं, जिससे उनके परिजनों को काफी परेशानी भी उठानी पड़ती है। नशा की लत के चलते बड़ी संख्या में तमाम परिवार बिखर चुके हैं। फिर भी नशा करने वालों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। शासन प्रशासन की ओर से भी नशे को लेकर लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही नशे की आदत छुड़वाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। जहां दवाइयों और काउंसलिंग के जरिए नशे की लत छुड़वाई जा रही है। अगर बात करें जिला अस्पताल में स्थित नशा मुक्ति केंद्र की तो वहां आने वाले मरीजों में सबसे अधिक संख्या युवाओं की है।

नशे की लत बिगाड़ रही बचपन
जिला अस्पताल में डिस्ट्रिक्ट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के डॉक्टर आशीष ने बताया कि उनके पास तम्बाकू, शराब, भांग और अफीम समेत सभी तरह का नशा करने वाले मरीज आते हैं। लेकिन इस समय तम्बाकू के मरीजों की संख्या ज्यादा है। जिसका सबसे अधिक सेवन युवा कर रहें हैं। जबकि 14 से 16 उम्र के बच्चों की संख्या भी अधिक है। काउंसलिंग और दवाइयों से बच्चा दो से तीन सप्ताह में नशा छोड़ सकता है। डॉक्टर अशीष के मुताबिक 70-80 प्रतिशत मरीज काउंसलिंग के बाद ही नशा छोड़ देते हैं।

हर महीने 350 मरीज पहुंच रहे जिला अस्पताल
डिस्ट्रिक्ट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के डॉक्टर आशीष ने बताया की नशे से मुक्ति दिलाने के लिए 350 से अधिक मरीजों को लेकर हर महीने उनके परिजन जिला अस्पताल के मन कक्ष में पहुंच रहे हैं। जिनका उपचार काउंसलिंग और दवांइयों से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मरीजों का दो तरह से इलाज किया जा रहा है। पहले जो मरीज नशे के कारण गंभीर हालत में होते हैं, उसका नशा उतारा जाता है। फिर उसके बाद जब मरीज को नशे की तलब लगती है तब उसे दवाइयों का सेवन कराया जाता है। साथ ही मरीजों की काउंसलिंग भी की जाती है, जिससे मरीज जल्द से जल्द उत्साहित होकर नशा छोड़ सके। वहीं काउंसलर खुशअदा ने बताया कि मरीजों की काउंसलिंग के समय पहले मरीजों को नशा छोड़ने के लिए उत्साहित किया जाता है।

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