उत्तर प्रदेश

गांव के तालाब और भूमि पर पानी टंकी बनाने के नाम पर लाखों का खेल

प्रयागराज: जिले के मऊआईमा में फर्जीवाड़ा करने का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां पानी की टंकी बनाने के नाम पर मिट्टी खनन करने वालों ने लाखों का खेल किया है। अधिकारियों का फर्जी पत्र इस्तेमाल कर लाखों का खेल किया है। बता दें कि एक व्यक्ति ने सरकारी तालाब और आसपास की मिट्टी का खनन कर बेच डाला। बताया जा रहा है कि मऊआईमा के सिकंदरपुर नयापुरा का रहने वाले पंकज कुमार गुर्जर ने गांव के तालाब और भूमि पर पानी टंकी बनाने के नाम पर लाखों का खेल किया है।

गंगा एक्सप्रेस-वे के एक अधिकारी ने मिट्टी खनन होते देखकर इस मामले में इंस्पेक्टर मऊआईमा को इसकी जानकारी दी तो, पंकज ने बताया कि यहां सरकारी काम चल रहा है। यहां प्रशासन की तरफ से एक पानी की टंकी बनाई जाएगी। जिसके लिए बुलडोजर से मिट्टी निकाला जा रहा है। जिसके बाद मामले अधिकारी ने उस शख्स के आदेश पत्रों की जांच कराई गई तो पता चला कि लेखपाल कानूनगो को राजस्व निरीक्षक समेत अन्य अधिकारियों का फर्जी हस्ताक्षर मुहर और रिपोर्ट लगाकर मऊआईमा थाने में जमा कराया गया था। पुलिस ने पूरे मामले की जांच कर सभी अधिकारियों से आदेश पत्र की पुष्टि कराई है। इसके बाद थाने में पंकज कुमार गुर्जर निवासी सिकंदरपुर नयापुरा मऊ आइमा के खिलाफ फर्जीवाड़ा, अवैध खनन और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। आरोपी की तलाश की जा रही है।

अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरु
अवैध मिट्टी खनन का मामला पकड़ में आने के बाद यह माना गया कि लेखपाल, राजस्व निरीक्षक सभी ने अपने स्तर से फर्जी मुहर, पेपर देकर खनन शुरू कराया था। आदेश पत्रों को देखने के बाद सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी गई है।

ये है मामला
सिकंदरपुर के गाटा संख्या 1139 के 42 और 45 तालाब की मिट्टी को खनन किया जाने लगा था। सबको बताया गया था कि यहां पर पानी टंकी बनना है। बुल्डोजर से खुदाई भी शुरू कर दी गई थी। खुदाई के आदेश पत्र लेखपाल संदीप यादव, राजस्व निरीक्षक परमात्मा पांडे और अन्य अधिकारियों का दिखाया गया था। गंगा एक्सप्रेस- वे के अधिकारियों ने जब इसकी शिकायत की तो आदेश पत्रों की जांच शुरू कराई गई। जारी हुआ पत्र लेखपाल राजस्व निरीक्षक और अन्य समेत लोगों के खिलाफ गोपनीय जांच रिपोर्ट मांगी गयी है। पुलिस ने जांच आगे बढ़ाया तो पता चला कि लेखपाल के हस्ताक्षर और रिपोर्ट हैं। मऊआईमा थाना प्रभारी का कहना है कि आदेश पत्र फर्जी पाया गया है।

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