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व्यक्ति अपनी बुद्धि से नहीं हृदय की शुद्धि से ही भगवान की कृपा प्राप्त कर सकता है

आत्मा और परमात्मा के बीच मिलन मार्ग का नाम महात्मा होता है

जन एक्सप्रेस/बिपिन तिवारी/शाहगंज/जौनपुर: जौनपुर जिले के शाहगंज तहसील अंतर्गत ग्राम चौबाहां स्थित हनुमान  मंदिर के पावन प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा रूपी अमृत रस का अपनी अमृतमयी वाणी से भक्तों को मानस के मर्म का रस पान कराते हुए आध्यात्मिक जगत के प्रख्यात कथावाचक पंडित अनुराग कृष्ण शास्त्री वृंदावन धाम ने भगवान श्री रामचंद्र जी के उत्तम चरित्र और जीवन आधारित मूल्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्रीराम एक आदर्श पुरुष थे, वे मर्यादा, सत्य,धर्म,करुणा, दया और सदाचार के मार्ग पर ही सदैव चलते थे राम के चरित्र में कई गुण थे जैसे की साहस, शौर्य, धर्म,धैर्य, और बुद्धिमानी, भगवान राम के चरित्र से हमें कई शिक्षाएं मिलती हैं, भाई का भाई से आत्मीयता भरा परस्पर प्रेम तथा पिता की आज्ञा पूर्ति हेतु त्याग और अनुराग, के साथ मानवीय जीवन में एक आदर्श वान राजा, न्यायप्रियता और प्रजावत्सल का उत्तम उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया था. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी धैर्य और मर्यादाओं का पालन करना भगवान श्री राम के अनुपम चरित्र से मनुष्य को अनुकरण करना चाहिए, उनका उत्तम चरित्र हर युगों में जीवांत रहेगा.

आत्मा और परमात्मा के बीच मिलन मार्ग का नाम महात्मा होता है

श्रीशास्त्री जी ने आगे कहां की जीवन में सफलता और शांति के लिए मनुष्य के स्वभाव में सत्संग का अभाव नहीं होना चाहिए, सत्संग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे संतों की संगत के माध्यम से आध्यात्मिकता की नाव पर बैठकर कष्ट रूपी भवसागर से पार पाया जा सकता है, मनुष्य का मन सुख और दुख के बंधन से मुक्त है, और मन को बस में करने वाला मानव महामानव कहा जाता है मन के बस में रहने वाला व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग से भटक जाता है इसलिए मन के जीते जीत है, मन के हरे हार,इसी प्रकार लक्ष्मण जी ने अपने मन को संपूर्ण रूप से बस में करके भगवान राम और माता सीता जी की 14 साल तक नींद से मुक्त होकर ब्रह्मचार्य जीवन के साथ भगवान राम की सेवा किया था.

स्वयं को समाज के कल्याण और ईश्वर की आराधना में लगाना चाहिए

हम सभी अपने मन को बस में करते हुए स्वास्थ्य एवं सुख दुख की परिकल्पना से परे होकर स्वयं को समाज के कल्याण और ईश्वर की आराधना में मन को लगाना चाहिए, इस प्रकार के मानस के मार्मिक वर्णन को सुन सभी वहां श्रोतागण हृदय भावविभोर हो गए, उपस्थित सभी के प्रति आभार अजीत कुमार प्रजापति ने व्यक्त किया, बता दें कि इस सप्त दिवसीय श्री रामकथा का समापन, आयोजन समिति के अनुसार 26 जनवरी प्रात; काल पूर्णाहुति के बाद भंडारा “प्रसाद” वितरण के साथ संपन्न होगा,

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