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आखिर क्यों?… पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार करने वाले मंत्रियों आईएएस आईपीएस पीसीएस समस्त सरकारी मुलाजिमों पर कार्यवाही करने वाले लोकायुक्त को भूली जनता

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जन एक्सप्रेस/कमलेश फाइटर
लखनऊ/कानपुर नगर
जनपद समेत उत्तर प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार करने वाले सरकारी मुलाजिमों पर कानूनी डंडा चलाने वाले लोकायुक्त न्यायालय को भूल चुकी है। आज से लगभग 10 वर्ष पहले नगर समेत संपूर्ण प्रदेश में लोकायुक्त क्या होता है उसकी गूंज सुनाई दिया करती थी। लेकिन सबसे पहले लोकायुक्त तक भ्रष्टाचार के मामले न पहुंचे और लोकायुक्त में किस भ्रष्टाचारी के खिलाफ जांच चल रही है इन सब बातों को सार्वजनिक न किया जा सके इसलिए समाजवादी पार्टी की सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने आरटीआई के दायरे से ही लोकायुक्त को निकाल दिया था।

आजकल उत्तर प्रदेश में जब सामान्य नागरिक सरकारी मुलाजिमों के भ्रष्टाचार से त्रस्त हो जाता है तो मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के चक्कर लगा लगा कर वह थक जाता है लेकिन सरकारी तंत्र में बैठे भ्रष्टाचार में लिप्त मुलाजिमों के ऊपर आंच तक नहीं आती है। लेकिन जनता को अभी यह मालूम ही नहीं है कि उत्तर प्रदेश में एक ऐसा न्यायालय भी है जिसे लोकायुक्त न्यायालय बोलते हैं और वहां पर परिवाद दाखिल होने के बाद भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी मुलाजिमों के साथ-साथ मंत्रियों के भी छक्के छूट जाते हैं।

लोकायुक्त ने बसपा और सपा सरकार में मंत्रियों को पाया था जांच में दोषी

जब उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से बसपा प्रमुख मायावती ने सरकार बनाई तो उनके मंत्री बादशाह सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें लोकायुक्त न्यायालय में पहुंची। पूर्व में यूपी के लोकायुक्त रहे एनके मेहरोत्रा ने अपनी जांच में बादशाह सिंह को दोषी पाया और सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की सिफारिश कर डाली। लोकायुक्त की शक्ति क्या होती है पूरे प्रदेश में सपा सरकार में भी देखा जब खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने के बाद लोकायुक्त ने उसे भी दोषी पाया और सरकार से उसके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।

सबूत सही पाए जाने पर लोकायुक्त आईएएस आईपीएस और मंत्रियों के खिलाफ यूपी में करता है कार्रवाई की सिफारिश

बहुत कम लोग ही जानते हैं कि लोकायुक्त के यहां दर्ज हुए परिवाद में अगर परिवाद दर्ज कराने वाले की शिकायत सही पाई जाती है तो जो भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी अधिकारी है चाहे वह आईएसओ आईपीएसओ पीसीएसओ अथवा किसी भी तरह का सरकारी मुलाजिम हो उसके विरुद्ध जांच संपूर्ण करके लोकायुक्त सरकार को रिपोर्ट भेज कर कार्रवाई करने की सिफारिश करता है और उसके बाद सरकार उस पर कार्यवाही भी करती है।

दूसरे कई प्रदेशों में लोकायुक्त को गिरफ्तार करने तक का है अधिकार

सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही लोकायुक्त को जांच संपूर्ण करने के बाद कार्रवाई किए जाने के लिए सरकार से सिफारिश करने का प्रावधान है।वहीं अन्य कई प्रदेशों में लोकायुक्त को काफी पावर मिली हुई है लोकायुक्त अपनी टीम के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त आईएएस आईपीएस पीसीएस सरकारी मुलाजिमों और मंत्रियों को खुद गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई कर सकता है।

अखिलेश यादव ने अपने मंत्रियों को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए आरटीआई के दायरे से लोकायुक्त को किया था बाहर

बसपा प्रमुख मायावती की सरकार में लोकायुक्त को काफी शक्तियां प्राप्त थी उनकी सरकार में सैकड़ों भ्रष्टाचारियों पर लोकायुक्त ने कार्रवाई भी की थी जिसमें उनके मंत्री तक शामिल थे। लेकिन जैसे ही प्रदेश में सपा सरकार आई और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने और उनके मंत्रियों के भ्रष्टाचार खुलने लगे और फाइलें लोकायुक्त में पहुंचने लगी तो उन्होंने सबसे पहले लोकायुक्त को आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया। इससे पहले काफी एक्टिविस्ट जानकारियां प्राप्त करके उसे सार्वजनिक कर देते थे जिससे जनता को काफी राहत मिलती थी लेकिन अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में आरटीआई के दायरे से लोकायुक्त को बाहर करके जनता के खिलाफ एक षड्यंत्र रचने का काम किया था।

अखिलेश यादव ने अपने मंत्रियों को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए आरटीआई के दायरे से लोकायुक्त को किया था बाहर

बसपा प्रमुख मायावती की सरकार में लोकायुक्त को काफी शक्तियां प्राप्त थी उनकी सरकार में सैकड़ों भ्रष्टाचारियों पर लोकायुक्त ने कार्रवाई भी की थी जिसमें उनके मंत्री तक शामिल थे। लेकिन जैसे ही प्रदेश में सपा सरकार आई और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने और उनके मंत्रियों के भ्रष्टाचार खुलने लगे और फाइलें लोकायुक्त में पहुंचने लगी तो उन्होंने सबसे पहले लोकायुक्त को आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया। इससे पहले काफी एक्टिविस्ट जानकारियां प्राप्त करके उसे सार्वजनिक कर देते थे जिससे जनता को काफी राहत मिलती थी लेकिन अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में आरटीआई के दायरे से लोकायुक्त को बाहर करके जनता के खिलाफ एक षड्यंत्र रचने का काम किया था।

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