अमेठी की पुलिस अधीक्षक 18 लाख की नौकरी छोड़, आईपीएस बन जिले का नाम किया रोशन

जन एक्सप्रेस/ अमेठी: रामपुर में जन्मी अपर्णा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं से प्राप्त की। उन्होंने 2006 में हाईस्कूल में टॉप किया और अपनी मेहनत को आगे बढ़ाते हुए 2008 में जयपुर से 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की। इसके बाद प्रयागराज से बीटेक की पढ़ाई की और 2012 में इसे पूरा कर कैंपस प्लेसमेंट से 18 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी हासिल की। हालांकि, उनका लक्ष्य केवल एक अच्छी नौकरी करना नहीं था, बल्कि समाज की सेवा करना था।
आईपीएस बनने का सफर
कॉर्पोरेट सेक्टर की आरामदायक जिंदगी के बावजूद, अपर्णा ने यूपीएससी की तैयारी करने का निर्णय लिया। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने सेल्फ स्टडी पर फोकस किया और अपने पहले ही प्रयास में 2015 में आईपीएस बनीं।
मां से मिली प्रेरणा
अपर्णा अपने जीवन की प्रेरणा अपनी मां प्रीति गौतम को मानती हैं, जिन्होंने पति के निधन के बाद अकेले ही परिवार को संभाला। मां ने न केवल अपर्णा को शिक्षा और संस्कार दिए, बल्कि जीवन के संघर्षों से लड़ने की ताकत भी दी।
साधारण शादी और सामाजिक संदेश
अपर्णा ने 2018 में उत्तराखंड की परंपराओं के अनुसार एक साधारण विवाह किया। उन्होंने फिजूल खर्चों से बचते हुए शादी का बचा हुआ धन महिला सहायता समूह को दान कर दिया। उनका संदेश स्पष्ट था: “शादी में फिजूल खर्च से बचें और पैसे का सही उपयोग करें।”
वर्तमान योगदान
फिलहाल, अपर्णा रजत कौशिक अमेठी की पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं और इससे पहले वह कासगंज और औरैया जिलों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। उनकी प्रशासनिक दक्षता और समाज सेवा की ललक उन्हें एक आदर्श अधिकारी बनाती है। अपर्णा कौशिक की कहानी यह साबित करती है कि समर्पण, अनुशासन, और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर कई युवा अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।आईपीएस अपर्णा रजत कौशिक की कहानी प्रेरणा और संघर्ष का एक अनूठा उदाहरण है। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली अपर्णा ने अपने दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत से सफलता का वह मुकाम हासिल किया, जो लाखों युवाओं का सपना होता है।