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भाजपा और संघ के मंथन से निकलेगा ‘अमृत’: संघ ‘ज्ञान’ से साफ होगा जिलाध्यक्षों के चयन का रास्ता

मंथन जारी, जल्द मिलेगा भाजपा को नया प्रदेशाध्यक्ष

संतोष कुमार दीक्षित
राज्य मुख्यालय। नोएडा में भाजपा और संघ के पदाधिकारियों की समन्वय बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रदेश में जल्द ही भाजपा के नए जिलाध्यक्षों को नियुक्ति मिल जाएगी। संभवत: 20 जनवरी तक प्रदेश में यह बदलाव हो जाए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के इस मंथन के बाद भाजपा को ‘अमृत’ की प्राप्ति होगी। इस बैठक के कई मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि इस बैठक में उत्तर प्रदेश के नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर भी मुहर लग चुकी है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह चंद दिनों में सबसे सामने होगा।

20 जिलों में जिलाध्यक्ष को लेकर चल रही खींचतान
सूत्रों की मानें तो भाजपा ने लगभग सभी प्रदेशाध्यक्षों के नामों पर अंतिम मुहर लगा दी है, मगर 18 से 20 ऐसे जिले हैं जहां इस पद के लिए रस्साकशी जारी है। इसी को ध्यान में रखकर भाजपा पदाधिकारियों ने सघं के साथ नोएडा में बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में संघ के दोनों क्षेत्र (पूर्वी और पश्चिमी यूपी) के प्रचारकों ने हिस्सा लिया। साथ ही वर्तमान यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह भी शामिल हुए। बैठक में इन संवदेनशील जिलों में संघ के ज्ञान पर ही नए जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा की जाएगी।

विवाद रहित जिलों को पहले मिलेंगे नए जिलाध्यक्ष
सूत्रों की मानें भारतीय जनता पार्टी पहले ऐसे जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को हरी झंडी देगी, जहां संगठन के अंदर विवाद नहीं है और सर्वसम्मति से नए जिलाध्यक्ष को स्वीकार किया जाएगा। बता दें की भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 98 जिलों में बांट रखा है। करीब 80 जिलों में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, महज 18 से 20 जिले ही ऐसे हैं जहां जिलाध्यक्ष के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। यहां बीजेपी को विरोधी स्वरों की आहट सुनाई दे रही है। इसलिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

योगी को मजबूती देने की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेशभर में भाजपा संगठन में हो रहा फेरबदल योगी आदित्यनाथ को मजबूती देने के लिए किया जा रहा है। हालांकि भाजपा इसे पार्टी संविधान का हिस्सा बता रही है। साल 2027 में होने वाले विधानसभा में योगी जीत की हैट्रिक लगाने के साथ ही अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज कर सकें इसके लिए सीएम के चहेतों को प्रमुख पदों पर बैठाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो सीएम की पंसद का ही प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाएगा।

योगी को ‘भविष्य’ मानता है आरएसएस
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आरएसएस सीएम योगी आदित्यनाथ को भारत के भविष्य के रूप में देखता है। इसकी बानगी पिछले साल एक नवंबर को मथुरा में आयोजित आरएसएस की दो दिवसीय कार्यकारी मंडल की बैठक में देखने को मिला। जब लोक सभा चुनाव में करारी हार के बाद योगी पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक हमलाभर हो रहे थे। उस दौरान ऐसा लगा रहा था मानों योगी अपनी ही पार्टी में राजनीति का शिकार न हो जाएं, मगर ऐन वक्त पर संघ के साथ बंद कमरे में हुई योगी की गुफ्तगू ने साफ कर दिया कि प्रदेश के मुखिया फिलहाल योगी ही हैं। उसके बाद प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 7 सीटें जीतकर योगी ने अपने तेवर दिखाकर विरोधियों का मुंह पर मुसीका लगा दिया।

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