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प्रमुख सचिव पशुधन के रवीद्र नायक पर भ्रष्टाचार का मामला

आखिर कब तक चलेगा सबूत मांगने का खेल

जन एक्सप्रेस/संतोष कुमार दीक्षित / राज्य मुख्यालय: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव के रवींद्र नायक के खिलाफ संयुक्त सचिव संयुक्त सचिव ने आगरा के निलंबित पशु चिकित्साधिकारी से सबूत मांगे हैं। हैरानी की बात है कि इससे पहले कई बार खुले मंच से सबूत दिए जा चुके हैं। वेटनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों ने भी भ्रष्टाचार के सबूत सीएम दफ्तर की ई-मेल पर भेजने का दावा किया था। इसके बावजूद सरकार बार-बार सबूत मांगने का खेल खेल रही है।

30 जनवरी 2025 को पत्र जारी कर मांगा जवाब
प्रमुख सचिव पशुधन के रवींद्र नायक पर भ्रष्टाचार, चेहतों को प्रमोशन और गो तस्वरी को बढ़ावा देने गंभीर आरोपों को लेकर संयुक्त सचिव अरुणेश कुमार द्विवेदी ने 30 जनवरी को पत्र जारी कर आगरा के निलंबित उप प्रमुख पशुचिकित्साधिकारी डॉ. मनोज कुमार से जवाब मांगा है। कार्मिक विभाग के शासनादेश 9 मई 1997 में विहित व्यवस्था का हवाला देते हुए शपथ पत्र के माध्यम शिकायतों की पुष्टि और वास्तविकता सिद्ध करने के लिए साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए कहा है।

क्या था मामला
बीते साल 12 दिसंबर को आगरा के पशु चिकित्साधिकारी डा. मनोज कुमार ने लखनऊ में प्रेसवार्ता करके प्रमुख सचिव पशुधन के रवींद्र नायक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए यूपीएलडीसी के सीईओ के करोड़ों रुपए ऐंठकर कार्यकाल बढ़ाने के आरोप लगाए थे। साथ ही चहेतों को प्रमोशन और गो तस्करी करने वालों को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप भी लगाए थे। प्रेसवार्ता के दौरान डॉ. मनोज कुमार ने भ्रष्टाचार के सबूत भी पेश किए थे। आरोप-प्रत्यारोपों के बीच डॉ. मनोज कुमार को निलंबित कर दिया गया।

सीएम योगी तक कागजात नहीं पहुंचने का भी आरोप
डॉ. मनोज कुमार ने आरोप लगाया था कि धांधली के तमाम सबूतों और शिकायतों के बावजूद यूपीएलडीवी के सीईओ डॉ. नीरज कुमार और प्रमुख सचिव पशुधन के. रविन्द्र नायक पर राज्य सरकार ने कार्रवाई नहीं की है। आरोप लगाया था कि प्रमुख सचिव पशुधन के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े कागजात बीच में ही रोक लिए जाते हैं या उन्हें दबा दिया जाता है। सीएम योगी आदित्यनाथ तक भ्रष्टाचार से जुड़े ये कागजात पहुंच नहीं रहे हैं।

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