जलाशयों के सिल्ट उठान के लिए बनाएं रॉयल्टी फ्री नीति : मुख्य सचिव
देहरादून । मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जलाशयों के डिसिल्टिंग (सिल्ट या मिट्टी उठान) को रॉयल्टी फ्री करने के लिए नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में किसानों को सिंचाई के लिए पानी के अभाव और बाढ़ जैसे चुनौतियों के समाधान, जलाशयों में पर्यटन गतिविधियों और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए डिसिल्टिंग जरूरी है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शुक्रवार को सचिवालय में व्यय वित्त समिति की बैठक में उधमसिंह नगर के गदरपुर में बाबा डल मन्दिर से बौर जलाशय से गूलरभोज-कूल्हा तिलपुरी वन बैरियर तक सिंचाई विभाग के माध्यम से कंक्रीट सड़क निर्माण कार्यो का वित्तीय अनुमोदन दिया।
इस दौरान मुख्य सचिव ने उत्तराखण्ड के बौर,हरिपुरा,तुमारिया,नानकसागर जैसे जलाशयों में अत्यधिक सिल्ट जमाव की समस्या के समाधान के लिए इन जलाशयों में पर्यटन गतिविधियों और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की दिशा में जलाशयों के सिल्ट या मिट्टी उठान को रॉयल्टी फ्री करने के लिए नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। बौर और हरिपुरा जलाशय जनपद ऊधमसिंहनगर के विकास खण्ड गदरपुर/बाजपुर में स्थित है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जलाशयों को पचास साल से भी अधिक का समय हो गया है। ऐसे स्तिथि में जलाशयों की क्षमता निरंतर घटती जा रही है। जलाशयों में अत्यधिक सिल्ट आने से भविष्य में किसानों को सिंचाई के लिए पानी के अभाव और बाढ़ जैसे चुनौतियों के समाधान,जलाशयों में पर्यटन गतिविधियों एवं मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए डिसीलटिंग जरूरी है।
मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग को सभी संबंधित विभागों से अनापत्ति लेने के निर्देश दिए हैं। बौर व हरिपुरा जलाशयों के सिल्ट का कर्मिशयल उपयोग नही किया जा रहा है तो इन जलाशयों के सिल्ट उठान को रॉयल्टी फ्री करने की नीति तैयार करने की दिशा में तत्काल कार्य आरम्भ किया जाए। मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग को 15 दिन का समय देते हुए वन विभाग के साथ सयुंक्त निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।
महत्वाकांक्षी योजना में बौर-हरिपुरा जलाशय है शामिल
इन बांधों की लम्बाई क्रमशः 9.500 किमी एवं 7.900 किमी और जल ग्रहण क्षमता 3650 एवं 1000 मि. घन फुट है। जलाशयों में वर्षाकाल की बाढ़ से जल संचय किया जाता है। इन जलाशयों में वर्षभर सिंचाई के लिए कृषकों को पानी दिया जाता है। उत्तराखण्ड सरकार की ओर से पर्यटन हब के रूप में भी इस क्षेत्र को विकसित किया जाना है। उत्तराखण्ड शासन की महत्वाकांक्षी योजना 13 जनपद 13 पर्यटन स्थल में भी बौर-हरिपुरा जलाशय को सम्मिलित किया गया है। इन जलाशयों में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से विगत वर्षों से पर्यटकों के लिए नौकायान व अन्य जल क्रीड़ाओं का आयोजन से भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बना रहता है। उक्त जलाशयों के पहुंच मार्ग कच्चे होने के कारण पर्यटकों के सुगम आवागमन में अत्याधिक कठिनाईयां उत्पन्न हो रही है। जिसके लिए यह योजना बनाई गई है और योजना का वित्त पोषण मिसिंग लिंक फंडिंग तहत किया जा रहा है।
32 आवासीय भवनों के निर्माण का अनुमोदन
मुख्य सचिव व्यय वित्त समिति में ने मोहकमपुर देहरादून में न्यायिक कार्मिकों के लिए बनने वाले 32 आवासीय भवनों के निर्माण का भी अनुमोदन दिया। उन्होंने उक्त आवासीय भवनों में अनिवार्य रूप से सोलर पैनल की व्यवस्था की जाए और ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा पर कार्य करने के निर्देश दिए।
पशु प्रजनन फार्म कालसी का स्टडी किया जाएगा
मुख्य सचिव ने देहरादून पशु प्रजनन फार्म कालसी के सुदृढ़ीकरण के कार्यों के लिए कम्प्ररहेन्सिव स्टडी के निर्देश दिए हैं। केन्द्र सरकार की ओर से देश में सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस ऑन इण्डीजिनस ब्रीड्स नामित किया गया है। इस प्रक्षेत्र पर भ्रूण प्रत्यारोपण की तकनीक से नस्ल सुधार कार्यक्रम सम्पादित किया जा रहा है। केन्द्र पोषित राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत प्रक्षेत्र का सुदृढीकरण प्रस्तावित है। फार्म पर बायोसिक्योरिटी के सुदृढीकरण से संस्था पर व्यवस्थित पशुधन को संक्रामक रोगों से बचाव करना है। प्रक्षेत्र में स्थापित प्रशिक्षण केन्द्र पर प्रदर्शन इकाईयों की स्थापना से पशुपालकों को हैण्डस ऑन प्रशिक्षण देने के लिए कार्य किया जाना है और प्रशिक्षण के लिए आये पशुपालकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान हो सकेगी। योजना का वित्त पोषण भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत 100 प्रतिशत वित्त पोषित है।
पशुलोक ऋषिकेश में हीफर रियरिंग फार्म के सुदृढ़ीकरण की सैद्धान्तिक स्वीकृति
मुख्य सचिव ने पशुलोक ऋषिकेश में हीफर रियरिंग फार्म के सुदृढ़ीकरण के कार्य की भी सैद्धान्तिक स्वीकृति दी है। पशुलोक ऋषिकेश में वर्ष 2019 में हीफर रियरिंग फार्म की स्थापना का कार्य आरआईडीएफ योजनान्तर्गत किया गया था और फार्म से राज्य के पशुपालकों को उचित मूल्य पर संकर नस्ल की गाय उपलब्ध कराना है। वर्तमान में प्रक्षेत्र पर उपलब्ध 37.9 एकड भूमि पर पशुओं के लिए चारें का उत्पादन किया जाता है और योजनान्तर्गत 38.7 एकड भूमि पर अतिरिक्त चारा व साईलेज का उत्पादन किया जाना है। जिससे प्रक्षेत्र पर व्यवस्थित पशुधन को पर्याप्त मात्रा में चारा मिल सकें। प्रक्षेत्र से राज्य के पशुपालकों को उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता के पशुओं को उपलब्ध कराया जायेगा। योजना का वित्त पोषण भारत सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत 100 प्रतिशत वित्त पोषित है।