जहर’ से भी खतरनाक खेल! क्या हरदोई की ज़मीन पर न्याय बिक गया है?
तुलसी हास्पिटल पर गंभीर आरोप, CMO की चुप्पी चुभने लगी!

जन एक्सप्रेस लखनऊ:हरदोई से आई इस खबर ने पूरे जिले की आत्मा को झकझोर दिया है। एक युवती, जो जहर खाकर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी, उसे तुलसी हास्पिटल लाया गया — लेकिन वहां जो हुआ, उसने पूरे तंत्र को बेनकाब कर दिया। अब इस पूरे मामले पर अस्पताल की कार्यशैली, प्रशासन की चुप्पी और राजनीतिक संरक्षण को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं।परिवार का आरोप है कि न समय पर इलाज मिला, न पुलिस को सूचना दी गई, और न ही मौत के बाद पोस्टमार्टम कराया गया। उल्टा, मामले को दबाने के लिए एक साजिश की बू आ रही है। अस्पताल प्रशासन पर यह भी आरोप है कि इलाज से जुड़ी फाइलें और रिपोर्टें या तो गायब कर दी गईं या जानबूझकर छुपाई गईं।
CMO चुप, नेता मौन, रसूखदार सक्रिय – अब न्याय के लिए पत्रकारिता लड़ेगी!
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) तक ने चुप्पी साध रखी है। जन एक्सप्रेस की टीम ने जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कॉल तक उठाना जरूरी नहीं समझा। सवाल ये है — क्या एक मासूम की मौत की अहमियत इस तंत्र के लिए इतनी भी नहीं कि उसकी जांच पर ज़बान खोली जाए? परिजनों का आरोप है कि उन्हें अब राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय रसूखदार और एक विधायक का नाम सामने आ रहा है, जो अस्पताल को बचाने की कोशिशों में लगे हैं। क्या ये वही नेता हैं जो मंच से ‘बेटी बचाओ’ के नारे लगाते हैं, और पीछे से बेटी के न्याय को दबाने में जुटे हैं?
जन एक्सप्रेस का ऐलान: ये रिपोर्ट नहीं, ये क्रांति है!
यह मामला अब सिर्फ एक खबर नहीं, यह न्याय की जंग है। हम यह रिपोर्ट तब तक नहीं रोकेंगे जब तक:
दोषियों की पहचान न हो जाए
अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही तय न हो जाए
और उस बेटी को इंसाफ न मिल जाए, जो ज़हर से नहीं, सिस्टम की बेरुखी से मरी है।
बहुत जल्द, इस मामले से जुड़े दस्तावेज, इलाज से जुड़े रिकार्ड, गवाहों के बयान और साक्ष्य सामने लाए जाएंगे। इस केस की हर परत को जनता के सामने उजागर किया जाएगा।
क्योंकि जब व्यवस्था सो जाए, तब पत्रकारिता को जागना पड़ता है — और अब हमारी नींद नहीं खुलेगी, हम इस सिस्टम को हिलाकर रहेंगे!