रेत के बजाए क्रेसर डस्ट से किया जा रहा निर्माण, गुणवत्ता की गारंटी नहीं
रैपुरा ग्राम पंचायत के राजापुर मार्ग में बनाया जा रहा नाला

जन एक्सप्रेस /चित्रकूट: सरकारी निर्माण कार्यों में धड़ल्ले से अनियमिताएं बरती जा रही है। निर्माण कार्य में सीमेंट के साथ क्रेशर धूल का प्रयोग किया जा रहा है, जो कुछ ही समय मे बिखरकर गिरने की आशंका है। लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं है।मानिकपुर विकास खण्ड के रैपुरा ग्राम पंचायत में लाखों की लागत से कराए जा रहे नाला निर्माण में जमकर धांधली की जा रही है। निर्माण कार्य में धड़ल्ले से गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। नाला निर्माण में अच्छी रेत की जगह सबसे अधिक क्रेशर की डस्ट का उपयोग किया जा रहा है। लाल रेत का थोड़ा बहत भी प्रयोग नहीं किया जा रहा है। निर्माण में रेत के बजाए क्रेशर से पिसकर आने वाली डस्ट यानि धूल को मिलाकर निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में नाला कितने दिनों तक टिका रहेगा अपने आप में बड़ा सवाल है।
रैपुरा ग्राम पंचायत के राजापुर मार्ग के किनारे नाले का निर्माण किया जा रहा है, जहां जमकर धांधली हो रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान और सचिव की साठगांठ के चलते घटिया निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है। जिससेनिर्माण कार्य की गुणवत्ता पर प्रश्न चिह्न लग रहे हैं।घटिया निर्माण से नाली की लंबी उम्र का खुद अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी हालत में इसकी उम्र ज्यादा नहीं होगी। ग्रामीणों का आरोप है कि चल रहे नाली निर्माण में प्रधान के द्वारा इतना घटिया कार्य करवाया गया है कि नाली एक वर्ष से ज्यादा नहीं टिक पाएगी।
सीडीओ की चेतावनी बेअसर
रैपुरा ग्राम पंचायत में लाखों की लागत से बन रहे नाला निर्माण में मानक की खूब अनदेखी की जा रही है। मुख्य विकास अधिकारी अमृत पाल कौर की चेतावनी के बाद भी ग्राम प्रधान सुधरने को तैयार नहीं। सत्ता की हनक दिखा बालू की जगह प्रतिबंधित क्रेसर डस्ट का उपयोग अभी भी धड़ल्ले से जारी है। निर्माण में कहीं भी गुणवत्ता देखने को नहीं मिल रही है। कहीं डस्ट तो कहीं सीमेंट की मात्रा काफी कम है।
कार्यदाई संस्थाओं पर कसावट की जरूरत
अब अगर आम जनता गुणवत्ता की निगरानी करेगी तो फिर इंजीनियर, सब इंजीनियर जो कि लाखों रुपए वेतन ले रहे हैं, वे किस लिए लगाए गए हैं। अधिकारियों, कार्यदाई संस्थाओं पर कसावट न होने के कारण मनमर्जी से काम किए जा रहे हैं और काम पूरा होते ही पूरा भुगतान कर लिया जाता है। विकास कार्यों के नाम पर घटिया निर्माण कार्य गायब हो जाते हैं।