सुल्तानपुर के कादीपुर में अपराधियों की दादागीरी
पुलिस के सामने कानून को ठेंगा दिखा रहे हिस्ट्रीशीटर भाई, पीड़ित को पीट-पीटकर अधमरा किया, पुलिस बनी मूकदर्शक

जन एक्सप्रेस/लखनऊ : सुल्तानपुर जिले की कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम कुंभी डांडिया में कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए कुख्यात हिस्ट्रीशीटर आनंद सिंह रंजन और उसके भाइयों ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन को खुली चुनौती दे डाली है। पुराने मुकदमे में सुलह न करने पर पीड़ित अवधेश पांडेय को दिनदहाड़े असलहे की बट और लोहे की रॉड से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया।
पीड़ित ने कई बार स्थानीय पुलिस और उच्च अधिकारियों से सुरक्षा की गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस प्रशासन की नींद अब तक नहीं टूटी। नतीजा – आज अवधेश अस्पताल में जीवन-मौत से जूझ रहा है और अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।
हिस्ट्रीशीटरों का खौफ: 30 से अधिक मुकदमे दर्ज, कार्रवाई शून्य
कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के निवासी आनंद सिंह रंजन (एच एस नं 112ए), उसका भाई धीरेन्द्र विक्रम सिंह (एच एस नम्बर 25ए), विजय विक्रम सिंह, और पिता उदयभान सिंह – इन सभी पर गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत कुल 40 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन मुकदमों में हत्या, अपहरण, हत्या की कोशिश, रंगदारी, गुंडा एक्ट जैसे संगीन अपराध शामिल हैं।
आनंद सिंह रंजन पर दर्ज प्रमुख मुकदमे:
- मु.अ.सं. 15/10 – धारा 302 आईपीसी
- मु.अ.सं. 129/15 – धारा 302, 364, 147, 201 आईपीसी
- मु.अ.सं. 375/16 – धारा 366, 323, 506 आईपीसी
- मु.अ.सं. 0049/23 – धारा 452, 504, 506 आईपीसी
- मु.अ.सं. 10/23 – 3(1) गुंडा एक्ट
धीरेन्द्र विक्रम सिंह (मोटू) पर दर्ज मुकदमे:
- मु.अ.सं. 557/23 – धारा 392, 452, 427, 506
- मु.अ.सं. 375/16 – धारा 386, 323, 506
- मु.अ.सं. 22/24 – 3(1) गुंडा एक्ट
विजय विक्रम सिंह (छोटू) और उदयभान सिंह पर भी गंभीर धाराओं में केस :
इन पर भी हत्या की कोशिश, लूट, रंगदारी, और गुंडा एक्ट के तहत कई मुकदमे दर्ज हैं।
स्थानीय लोग डरे-सहमे, पुलिस निष्क्रिय
ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस इन अपराधियों के आसपास जाने तक से कतराती है। कई बार शिकायतें देने के बावजूद, पुलिस ने अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है। सवाल ये उठता है कि आखिर किसके दबाव में ये अपराधी खुलेआम इलाके में आतंक फैला रहे हैं?
अब सवाल उठते हैं…
- क्या सुल्तानपुर में अपराधी कानून से ऊपर हो गए हैं
- पुलिस प्रशासन अपराधियों पर शिकंजा कब कसेगा?
- क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा या इसी तरह दर-दर भटकता रहेगा?
यह मामला न सिर्फ कादीपुर कोतवाली की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि पूरे जिले की कानून व्यवस्था की पोल खोलता है। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो आने वाले दिनों में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।