गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का शोषण: आम जनता की पीड़ा

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद: विश्व उपभोक्ता दिवस के अवसर पर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं उपभोक्ताओं के अधिकारों पर सेमिनार और बैठकें आयोजित कर रही हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि उपभोक्ताओं की वास्तविक समस्याओं का समाधान कहीं दिखाई नहीं देता। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के मनमाने रवैये से आम जनता लगातार आर्थिक और मानसिक शोषण का शिकार हो रही है। इन कंपनियों द्वारा ऊँची ब्याज दरें, अनुचित वसूली प्रक्रियाएँ और पारदर्शिता की कमी आम नागरिकों को गंभीर संकट में डाल रही हैं।
कर्ज पर भारी ब्याज और कठोर शर्तें
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां छोटे और मध्यम वर्गीय लोगों को आसानी से लोन उपलब्ध कराती हैं, लेकिन इसके बदले उन पर ऊँची ब्याज दरें और कठोर शर्तें थोप देती हैं। लोन न चुका पाने की स्थिति में ग्राहकों को धमकी भरे कॉल, जबरन वसूली और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस सेक्टर के लिए दिशा-निर्देश बनाए हैं, लेकिन उनके प्रभावी क्रियान्वयन की कमी के चलते कंपनियां मनमानी पर उतारू हैं।
जबरन इंश्योरेंस पॉलिसियों की बिक्री
कई गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां लोन देने से पहले ग्राहकों पर महंगी इंश्योरेंस पॉलिसियाँ खरीदने का दबाव बनाती हैं। इसके पीछे कंपनियों के अधिकारी मोटा कमीशन कमाने और पार्टियों में मौज-मस्ती करने के लिए ग्राहकों के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं। आम उपभोक्ता पहले से ही ऊँची ब्याज दरों से परेशान होता है, और फिर इस अनावश्यक इंश्योरेंस की वजह से उसकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।
जानबूझकर लोन प्रक्रिया में देरी
ग्राहकों की शिकायत है कि NBFCs जानबूझकर डॉक्यूमेंट प्रोसेसिंग में देरी करती हैं। लोन क्लोज़र या अकाउंट स्टेटमेंट प्राप्त करने में हफ्तों से लेकर महीनों तक का समय लिया जाता है। इस विलंब से ग्राहकों को अतिरिक्त ब्याज और पेनल्टी का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में बार-बार शाखा के चक्कर कटवाए जाते हैं, जिससे उपभोक्ता मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित होते हैं।
वसूली एजेंटों की धमकियाँ और डर का माहौल
NBFCs के वसूली एजेंट जबरन वसूली के लिए उपभोक्ताओं को मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करते हैं। कई मामलों में धमकी भरे कॉल, घर पर बार-बार आकर तंग करना और सामाजिक बदनामी की धमकी देना आम बात हो गई है। उपभोक्ता फोरम में दायर शिकायतों से यह स्पष्ट होता है कि इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है, ताकि ग्राहकों का आर्थिक और मानसिक शोषण रोका जा सके।
सरकारी तंत्र की उदासीनता
सरकारी एजेंसियों और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण NBFCs बेखौफ होकर नियमों की धज्जियाँ उड़ा रही हैं। दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद जैसे इलाकों में अवैध कॉलोनियों और निर्माण परियोजनाओं के लिए धड़ल्ले से गृह ऋण दिए जा रहे हैं। गौतम बुद्ध नगर के शाहबेरी इलाके में बिना किसी वैध अनुमति के लोन दिए गए थे, और जब एक बिल्डिंग गिरी तो यह घोटाला सामने आया। इसके बावजूद, प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह गलत प्रथाएँ जारी हैं।
प्रमुख गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानदेशभर में कई NBFCs कार्यरत हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:
-जी आई सी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड
-कैनफिन होम्स लिमिटेड
-एल आई सी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड
-पी एन बी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड
-बंधन बैंक
-हीरो हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड
-आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड
-आई सी आई सी आई हाउसिंग (अफोर्डेबल)
-एक्सिस हाउसिंग फाइनेंस (अफोर्डेबल)
सरकार को इस मुद्दे पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आम नागरिकों को इस आर्थिक शोषण से राहत मिल सके। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो उपभोक्ताओं की पीड़ा और अधिक बढ़ सकती है।