यूपी में BJP के 68 नए जिलाध्यक्ष घोषित:नियुक्ति को लेकर घमासान, 30 जिलों में टला चुनाव- देखें पूरी लिस्ट!

जन एक्सप्रेस/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 68 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है, लेकिन 30 जिलों में भारी गुटबाजी, विरोध और नेताओं के दबाव के चलते ऐनवक्त पर चुनाव टालना पड़ा। लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय से वॉट्सऐप के जरिए जिलों में नाम भेजे गए, लेकिन कई जगहों पर विरोध की आशंका के चलते प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय ने एक-एक करके लिस्ट जारी करने का फैसला किया।
भाजपा की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पिछले ढाई महीने से अटकी हुई थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बावजूद अभी भी पूरी नहीं हो पाई। पार्टी के बड़े और प्रभावशाली नेताओं ने अपनी पकड़ दिखाते हुए 30 जिलों में अध्यक्ष के चुनाव को स्थगित करवा दिया। बता दें कि पूरे यूपी को भाजपा ने 98 संगठनात्मक जिलों में बांटा है।
भाजपा में लंबे समय बाद उभरा अंदरूनी विरोध
जनवरी के पहले सप्ताह से जिलों में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह अब तक सभी जिलों में जिलाध्यक्ष घोषित कराने में सफल नहीं हुए। पार्टी में यह पहला मौका है जब प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व सभी को एक राय पर नहीं ला सका।
सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही जिलाध्यक्षों के नामों की भनक लगी, दावेदारों ने दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच बनानी शुरू कर दी। चुनाव प्रक्रिया से जुड़े कुछ नेताओं ने अपने विरोधियों पर गंभीर आरोप लगाकर उनकी नियुक्ति रुकवाने का प्रयास किया। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए प्रदेश चुनाव प्रभारी को 30 जिलों में चुनाव स्थगित करने का निर्देश दे दिया।
दबाव और जातीय समीकरण बने बड़ी वजह
अधिकतर जिलों में सामाजिक और जातीय समीकरणों के कारण चुनाव को रोका गया। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता अपने पसंदीदा कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए जोर आज़माइश कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि चुनाव रोकना, मनपसंद व्यक्ति को जिलाध्यक्ष बनाने का सबसे आसान तरीका है। अब इन जिलों में जिलाध्यक्ष की घोषणा नए प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में की जाएगी।
दिलचस्प बात यह है कि क्षेत्रीय अध्यक्षों को भी इस प्रक्रिया से पूरी तरह से अलग रखा गया। कई क्षेत्रीय अध्यक्षों को यह तक जानकारी नहीं दी गई कि उनके क्षेत्र के कितने जिलों में जिलाध्यक्ष की घोषणा हुई और कितने में चुनाव स्थगित कर दिया गया।
किन जिलों में स्थगित हुए चुनाव?
यूपी में 30 जिलों में जिलाध्यक्ष के चुनाव स्थगित किए गए। इनमें प्रमुख रूप से अयोध्या, बाराबंकी, अंबेडकर नगर, फतेहपुर, जालौन, झांसी, पीलीभीत, हाथरस, अलीगढ़, एटा, फिरोजाबाद, मिर्जापुर, जौनपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, मेरठ, हापुड़, शामली, सहारनपुर और अमरोहा शामिल हैं।
अयोध्या: पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने मौजूदा जिलाध्यक्ष की दोबारा नियुक्ति का विरोध किया और अपने करीबी को जिलाध्यक्ष बनाने का दबाव बनाया।
झांसी महानगर: यहां प्रदेश के एक बड़े नेता के निजी सचिव का प्रभाव रहा, जिन्होंने मौजूदा जिलाध्यक्ष हेमंत परिहार को बनाए रखने के लिए जोर लगाया।
देवरिया: यहां स्थानीय सांसद और विधायकों के विरोध के कारण चुनाव रोकना पड़ा।
मेरठ, सहारनपुर, शामली, हापुड़ और अमरोहा: इन जिलों में जातीय संतुलन न बनने के कारण नियुक्ति टाल दी गई।
भाजपा का ब्रज क्षेत्र, कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र, काशी क्षेत्र, अवध क्षेत्र, गोरखपुर क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र इस गुटबाजी से प्रभावित हुआ है।
अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व इन जिलों में कब और कैसे जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करता है, क्योंकि आंतरिक गुटबाजी और नेताओं की रस्साकशी के चलते पार्टी की संगठनात्मक मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं।