उत्तराखंड

वैदिक विज्ञान और साहित्य में गणित की महती भूमिका : शतांशु

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हरिद्वार । गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय में डाटा एनालिटिक्स विषय पर कार्यशाला में देश के 31 विभिन्न संस्थानों से मुख्यतः शोध छात्र, तकनीकी संस्थानों के शिक्षक एवं शोध संस्थानों से आए हुए शोधार्थी प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया और डाटा एनालिटिक्स विषय की बारीकियों को सीखा। यह कार्यशाला उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र, उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदत्त अनुदान से आयोजित की गई थी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि गणित ने हमेशा वैदिक विज्ञान और साहित्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्राचीन वैदिक संत गणित के स्वामी थे, और उन्होंने ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलने के लिए संख्याओं के अपने ज्ञान का उपयोग किया। वेद जटिल गणितीय सूत्रों और अवधारणाओं से भरे हुए हैं, जिनका उपयोग तारों की गति से लेकर ऋतुओं के समय तक सब कुछ गणना करने के लिए किया गया है।

वैदिक विज्ञान और साहित्य में संख्या और गणित का महत्व केवल व्यावहारिक अनुप्रयोगों से परे है। वास्तव में, प्राचीन ऋषियों का मानना था कि ब्रह्मांड गणितीय सिद्धांतों के आधार पर बनाया गया था। उनका मानना था कि ब्रह्मांड परमात्मा की अभिव्यक्ति है, और इसके पीछे के गणितीय सिद्धांतों को समझ कर, कोई भी परमात्मा की गहरी समझ हासिल कर सकता है। उसके पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों को कुलपति ने प्रमाण पत्र वितरित किए।

मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े एनआईटीटीटीआर के डायरेक्टर प्रो. बीआर गुर्जर ने कहा कि डेटा एनालिटिक्स आज की दुनिया में एक आवश्यक उपकरण बन गया है। उपलब्ध डेटा की बढ़ती मात्रा के साथ, व्यवसाय और संगठन सूचित निर्णय लेने के लिए इस जानकारी का लाभ उठाने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं। डेटा एनालिटिक्स एक निरंतर विकसित होने वाला क्षेत्र है और नवीनतम उपकरणों और तकनीकों के साथ अप-टू-डेट करना महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. लोकेश जोशी ने कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि लगभग 100 प्रतिभागियों ने भारत के विभिन्न राज्यों के 31 संस्थानों ने इस कार्यशाला के लिए पंजीकरण किया। इस कार्यशाला में 16 व्याख्यान हुए।

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