यूपी आबकारी विभाग के तबादलों में मेरिट सिस्टम की हवा निकल गई!
मेरिट, पारदर्शिता और ऑनलाइन सिस्टम सिर्फ दिखावा, हकीकत में 'सिस्टम' चला गया भारी!

जन एक्सप्रेस/लखनऊ : यूपी में तबादला सत्र भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन आबकारी विभाग की तबादला कहानी में अब एक के बाद एक बड़े खुलासे सामने आ रहे हैं। जिस तबादला नीति को मेरिट बेस्ड और ऑनलाइन बताया गया था, वो अब ‘सिस्टम बेस्ड’ निकली। जिन अधिकारियों ने एक ही जिले में तीन साल और मंडल में सात साल पूरे कर लिए थे, वो अपनी कुर्सी पर जस के तस बने बैठे हैं, जबकि कुछ ऐसे निरीक्षकों का ट्रांसफर कर दिया गया जिनका तय समय भी पूरा नहीं हुआ था।
पोर्टल भी नहीं खुला, फिर कैसे हुआ ट्रांसफर?
तबादले के लिए बनाए गए पोर्टल का लिंक तक कई आबकारी निरीक्षकों और कांस्टेबलों के लिए नहीं खुला। ऐसे में सवाल उठता है कि ऑनलाइन प्रक्रिया कैसे पूरी हुई? क्या पहले से ही लिस्ट तैयार थी?
स्पाउस ग्राउंड और मेरिट को भी मिली नजरअंदाजगी
स्पाउस मेरिट और स्पाउस ग्राउंड के आधार पर ट्रांसफर की बात कही गई थी, लेकिन इसकी भी धज्जियां उड़ती नजर आईं। कई योग्य अधिकारी जहां चुपचाप नजरअंदाज हो गए, वहीं कुछ खास अधिकारियों को मनचाही पोस्टिंग मिलती दिखी।
तबादला सूची पर सन्नाटा!
जहां विभाग हर छोटी उपलब्धि का प्रेस रिलीज जारी करता है, वहीं इस बार तबादला सूची को दबाकर रखा गया। मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई, वेबसाइट पर सूची अपलोड नहीं की गई और न ही कोई आधिकारिक बयान आया।
कांस्टेबल तबादले अभी भी ठंडे बस्ते में
सबसे हैरानी की बात ये है कि कांस्टेबलों के तबादले अब तक नहीं हुए। सूत्रों के अनुसार ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद सूची को आला अधिकारियों ने रोक रखा है।
आबकारी आयुक्त की मेरिट अंक प्रणाली भी बन गई मजाक
तबादलों के लिए आबकारी आयुक्त ने मेरिट अंक व्यवस्था लागू की थी, लेकिन फील्ड में इसका असर नदारद रहा। जो लायक थे, वो इंतज़ार करते रह गए और जो ‘जुड़े’ थे, वो नए जिलों में पहुंच गए।
सवाल कई, जवाब एक भी नहीं
अब सवाल उठ रहे हैं कि तबादला प्रक्रिया में पारदर्शिता कहां थी? क्या ऑनलाइन सिस्टम सिर्फ दिखावे के लिए था? क्या खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखा गया?
जन एक्सप्रेस सवाल करता है:
- मेरिट सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की गई?
- पोर्टल क्यों नहीं खुला सभी के लिए?
- एक ही जिले में जमे लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- कांस्टेबल तबादले रोकने के पीछे वजह क्या है?
आबकारी विभाग से जनता और कर्मचारियों को चाहिए जवाब!