उत्तर प्रदेशलापरवाही

टीबी नहीं, डॉक्टरों की लापरवाही ने ली बेटी की जान!

CHC कोथांवा की शर्मनाक हकीकत — न इलाज, न इंसानियत, सिर्फ़ मनमानी

जन एक्सप्रेस/हरदोई : “मेरी बेटी समय पर इलाज पाती, तो आज ज़िंदा होती। लेकिन डॉक्टरों ने न देखा, न सुना, न समझा — और मेरी बेटी ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।” — ये चीख है एक पिता की, जिसकी 18 साल की मासूम बेटी पूर्णिमा गुप्ता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) कोमावां की बेरहम व्यवस्था और डॉक्टरों की मनमानी ने निगल लिया।

नीरज गुप्ता, निवासी सिकलिन टोला, बेनीगंज, संडीला — अपनी बेटी की बिगड़ती तबीयत को लेकर कोथांवा के CHC पहुँचे थे। वहाँ डॉक्टरों ने एक्स-रे के बाद बताया कि फेफड़े में पानी है, टीबी है, और दावा किया कि “छह महीने में ठीक हो जाएगी।” लेकिन हकीकत इससे उलट निकली।

इलाज शुरू होते ही पूर्णिमा की हालत बिगड़ने लगी। पिता बार-बार डॉक्टरों से गुहार लगाते रहे कि बेटी को देख लें, लेकिन ओपीडी डॉक्टर दिवाकर पांडेय, विनोद कुमार, और टीबी विभाग के डॉक्टर मित्रा कुमार व अजीत कुमार ने एक न सुनी। उल्टा, जांच लिखकर औपचारिकता निभा दी और फिर किसी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

जब लड़की चलने-फिरने तक में असमर्थ हो गई, तब भी डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। जब प्रार्थी दोबारा डॉक्टरों के पास पहुँचे, तो उन्हें कमरे से बाहर निकाल दिया गया — हद तो तब हो गई जब जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

जिला अस्पताल में डॉक्टर शिवम गुप्ता ने साफ़ कहा, “अब बचने की कोई गुंजाइश नहीं है।” और लखनऊ रेफर कर दिया। इलाज की आस और पैसों के इंतज़ाम के बीच पूर्णिमा की सांसे थम गईं — उस सिस्टम के सामने जिसने उसे जीने का मौका भी नहीं दिया।

कौन है दोषी?

  • डॉक्टर मित्रा कुमार (टीबी विभाग)
  • डॉक्टर अजीत कुमार (टीबी विभाग)
  • डॉक्टर दिवाकर पांडेय (ओपीडी)
  • डॉक्टर विनोद कुमार (ओपीडी)

CHC कोथांवा के प्रभारी विपुल वर्मा – जिनकी शिथिल कार्यशैली ने इस मौत की जमीन तैयार की।

प्रशासन क्या कर रहा है?
अब तक कोई जवाबदेही तय नहीं। शिकायत ज़िलाधिकारी तक पहुँच चुकी है, लेकिन क्या लापरवाह डॉक्टरों पर कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी सरकारी फाइलों में दब जाएगा?

सवाल तो उठेंगे

  • क्या सरकारी अस्पताल अब मौत के कुएं बन चुके हैं?
  • किसके भरोसे आम आदमी इलाज के लिए जाए?
  • अगर यह डॉक्टरों की लापरवाही नहीं तो और क्या है?

पूर्णिमा अब नहीं रही, लेकिन उसकी मौत सवाल छोड़ गई — जवाब प्रशासन को देना होगा।

जन एक्सप्रेस की माँग:
➡️ दोषी डॉक्टरों पर हत्या के प्रयास जैसी धाराओं में FIR हो।
➡️ लापरवाह चिकित्सा अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।
➡️ CHC कोमावां की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

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