देश
संसद को किसी तरह का कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट में अपना पहला हलफनामा पेश किया और इसके समर्थन में कई दलीलें पेश कीं हैं। अपने हलफनामे में सरकार ने तर्क दिया कि विभिन्न कानून राष्ट्रीय एकता को बाधित करते हैं और यूसीसी व्यक्तिगत कानून को विभाजित करता है। पर्सनल लॉ में एकरूपता की मांग करने वाली कई याचिकाओं के जवाब में हलफनामा दायर किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष छह जनहित याचिकाएं दायर की गईं हैं। जिनमें चार अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा, एक याचिका लुबना कुरैशी द्वारा, और दूसरी याचिका डोरिस मार्टिन द्वारा कानून को लागू करने की मांग के लिए दायर की गई थी। जनहित याचिकाओं में केंद्र सरकार से तलाक, गोद लेने, संरक्षकता, उत्तराधिकार, विरासत, रखरखाव, शादी की उम्र और गुजारा भत्ता के लिए धर्म और लिंग-तटस्थ समान कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।