यूपी बीजेपी में संगठनात्मक सुस्ती! 28 जिलों में नहीं घोषित हो पाए जिला अध्यक्ष, आंतरिक खींचतान का असर
चार महीने पहले हो चुका नामांकन, अब तक लंबित है घोषणा

जन एक्सप्रेस लखनऊ। उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर भारी सुस्ती और आंतरिक खींचतान नजर आ रही है। तकरीबन चार महीने पहले जिलाध्यक्षों के नामांकन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक 28 जिलों में जिला अध्यक्षों की आधिकारिक घोषणा नहीं हो सकी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश स्तर पर मची गुटबाजी और आंतरिक असहमति इस देरी की प्रमुख वजह है।
जिलाध्यक्षों की घोषणा में हो रही देरी से न केवल स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, बल्कि जिलों में संगठनात्मक गतिविधियां भी ठप हैं। कहीं-कहीं तो आपसी खींचतान इतनी ज्यादा है कि पार्टी के ही नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं। यह स्थिति भाजपा जैसे अनुशासित दल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है।
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को लेकर भी हालिया दिनों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। हाल ही में उनके जन्मदिन पर भाजपा मुख्यालय से लेकर आसपास के क्षेत्रों में न तो कोई विशेष उत्सव देखने को मिला और न ही बधाई संदेशों के पोस्टर नजर आए। इससे यह साफ झलकता है कि संगठन के भीतर समर्पण और सामंजस्य की कमी महसूस की जा रही है।
विशेषज्ञों की मानें तो यदि जल्द ही संगठन में सर्जरी नहीं की गई और जिलाध्यक्षों की घोषणा नहीं हुई, तो इसका प्रभाव आने वाले निकाय और 2027 के विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है। भाजपा के लिए यह समय संगठन को धार देने का था, लेकिन फिलहाल अंदरूनी खींचतान इसकी राह में रोड़ा बनती दिख रही है।