राम-केवट संवाद ने भक्ति में डूबोया, भरत के त्याग से प्रेरित हुए श्रोता
राम-केवट संवाद ने श्रोताओं को किया भाव विभोर
जन एक्सप्रेस/ खुटहन (जौनपुर): यूनिक आइडिया एजुकेशन पब्लिक स्कूल, मरहट के प्रांगण में चल रही आठ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के छठवें दिन राम वनगमन, भरत मिलाप, और राम-केवट संवाद का भावपूर्ण प्रसंग सुनाया गया। कथा वाचक पंडित धर्मराज तिवारी जी महाराज ने अपनी मधुर वाणी से भगवान राम के आदर्शों और मर्यादा की स्थापना का संदेश दिया। उन्होंने भरत के बलिदान और भाईचारे को कलयुग में दुर्लभ बताया।
राम-केवट संवाद का प्रसंग
कथा के दौरान महाराज जी ने बताया कि भगवान राम गंगा तट पर खड़े होकर केवट से नाव मांगते हैं, लेकिन केवट भगवान के चरण पखारने की शर्त रखता है। उसने कहा कि वह चरण धोने के बाद ही नाव पर बैठाने देगा। राम और केवट के इस संवाद को सुनकर श्रोता भक्ति और प्रेम भाव में डूब गए। पंडाल में बैठे भक्तों ने इसे सुनकर गहरी श्रद्धा व्यक्त की। महाराज जी ने समझाया कि भगवान राम का वनगमन केवल पिता की आज्ञा पालन नहीं, बल्कि समाज को मर्यादा और आदर्श स्थापित करने का प्रेरणास्रोत है।
भरत के त्याग और भक्ति का महत्व
कथा के दौरान भरत के त्याग और तपस्या का भी उल्लेख किया गया। महाराज जी ने कहा कि भरत ने राम की खड़ाऊं को सिर पर रखकर राजगद्दी को ठुकराया और तपस्वी जीवन अपनाया। उन्होंने निष्काम भक्ति के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि सच्चे प्रेम और भक्ति में भगवान सदैव अपने भक्तों के साथ खड़े रहते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। आयोजन में सुभाष उपाध्याय, सुधाकर सिंह, संतोष सिंह समेत कई श्रद्धालु और गणमान्य उपस्थित रहे।