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मौरंग माफिया पर मौन सिस्टम: यूपी की सड़कों पर दौड़ती मौतें, गायब नम्बर प्लेट और गुम जिम्मेदारियां

जन एक्सप्रेस की विशेष रिपोर्ट

लखनऊ। मौरंग खदानों से कानपुर देहात, कानपुर नगर और उन्नाव होते हुए राजधानी लखनऊ की ओर आने वाले ओवरलोडेड डंफर न सिर्फ सड़क पर खतरा बनकर दौड़ रहे हैं, बल्कि इनकी पहचान तक संभव नहीं। कारण साफ है- इनमें से अधिकांश वाहनों की नम्बर प्लेट या तो पूरी तरह गायब है या फिर जानबूझकर मिटा दी गई है।

जन एक्सप्रेस की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि लखनऊ-कानपुर हाईवे पर दौड़ रहे करीब 90% मौरंग लदे डंफर ऐसे हैं जिनकी नम्बर प्लेट या तो दोषयुक्त है, गलत फॉन्ट में है, या मिटा दी गई है, जिससे इनकी पहचान न हो सके।

कानून क्या कहता है?

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार:

धारा 50 और 51 के तहत वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC) वाहन पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होना चाहिए।

धारा 39 के अनुसार, बिना वैध पंजीकरण या गलत/गायब नम्बर प्लेट के वाहन का संचालन अवैध है।

धारा 177A (2020 संशोधन के बाद) के अनुसार, अगर कोई वाहन दोषयुक्त नम्बर प्लेट के साथ पाया जाता है तो उसपर ₹5,000 तक जुर्माना और वाहन जब्त करने की कार्यवाही हो सकती है।

धारा 190(1) के अनुसार, यदि वाहन मालिक नियमों का उल्लंघन करते हुए किसी खतरे या दुर्घटना की संभावना पैदा करता है, तो उसे 3 महीने की जेल या ₹1,000 तक जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

आरटीओ ने कहा: “मेरे संज्ञान में नहीं था”

जब जन एक्सप्रेस ने लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप कुमार पंकज से इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने कहा:
“मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं था। आपने बताया है तो मैं इसे देखता हूं और कार्रवाई करता हूं।”

प्रश्न उठता है- जब हाईवे पर यह समस्या रोज़ की है, तो क्या आरटीओ का अनभिज्ञ रहना महज संयोग है या यह चुप्पी किसी ‘सौदे’ की गवाही दे रही है?

क्या सिर्फ चालान से बचे रहेंगे ये मौत के डंफर?

इन मौरंग डंफरों की संख्या हजारों में है। ये वाहन कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी, हरदोई आदि ज़िलों से होते हुए राजधानी तक पहुंचते हैं।
इनके मार्ग में पड़ने वाले हर आरटीओ, एआरटीओ और पुलिस थानों की जवाबदेही बनती है, परंतु कोई रोक-टोक नहीं। वजह? या तो मिलीभगत या प्रशासनिक लापरवाही।

जन एक्सप्रेस की मांग

1. सभी दोषयुक्त नम्बर प्लेट वाले वाहनों की पहचान कर तत्काल कार्यवाही की जाए।

2. जिन अधिकारियों की नजरों के सामने ये वाहन रोज गुजरते हैं, उनकी जवाबदेही तय की जाए।

3. सड़क सुरक्षा और नियम पालन सुनिश्चित करने हेतु विशेष अभियान चलाया जाए।

4. सभी प्रमुख हाईवे पर नम्बर प्लेट रीडिंग कैमरे लगाए जाएं।

यह मामला सिर्फ अवैध परिवहन का नहीं, जानबूझकर की जा रही कानून की हत्या का है। जब कोई वाहन अपनी पहचान ही छिपा ले, तो वह न सिर्फ नियमों की अनदेखी करता है, बल्कि अपराध को आमंत्रित करता है।
अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो अगली खबर किसी मासूम की जान जाने की होगी-क्योंकि मौत, अब नम्बर प्लेट से बेनकाब नहीं होती।

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