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सात साल में बाढ़ राहत पर किए गए खर्च की विजिलेंस जांच कराए सरकार: माजरा

कैथल । पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा है कि पिछले 7 साल में सरकार ने बाढ़ राहत पर दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है। इस राशि को अधिकारी और ठेकेदार मिलकर डकार गए। सरकार इसकी विजिलेंस जांच करवाए।

माजरा यहां बुधवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्हाेंने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार बाढ़ राहत के लिए कोई काम नहीं कर पाई। बैठक में 1100 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी जरूर दी, इसमें से कौन-कौन से कार्य पूरे हुए, पैसा कितना खर्च हुआ, कहां हुआ। इन सबका सरकार के पास जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी भी बाढ़ राहत का बजट, मनरेगा का बजट व केंद्र से आए दो सौ करोड़ से अधिक के बजट को खर्च किया जा रहा है। जिसमें कई लोग आपदा में अवसर ढूंढ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इस बजट को निगरानी में खर्च करे। फसलों के लिए प्रति एकड़ मुआवाजा 15 से बढ़ाकर 50 हजार दिया जाए। दुधारु पशु के लिए 37,500 से बढ़ाकर एक लाख रुपया दिया जाए। किसानों के लिए चारे व पनीरी का प्रबंध किया जाए।

सरकार ने पैदा किया गुर्जरों और राजपूतों में विवाद

मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि भाजपा जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांट कर वोट बटोरती है। कैथल में भी गुर्जर और राजपूतों में विवाद सरकार ने ही पैदा किया है। अगर सरकार चाहती तो इस विवाद को समाप्त कर सकती थी। तमाम खुफिया रिपोर्टों के बावजूद भी मुख्यमंत्री ने इस तरह के विवाद को पनपने दिया। महापुरुष किसी देश धर्म या जाति के नहीं होते।

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