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खनन माफिया की करतूत: मिट्टी इतनी उठाई कि कुआं जमीन से 20 फीट ऊपर झूलने लगा

जन एक्सप्रेस/जौनपुर : जिले के जलालपुर क्षेत्र के केरांव गांव में एक ऐसा मंजर देखने को मिला है जो आंखों को चौंधिया देता है और व्यवस्था की संवेदनहीनता पर गहरे सवाल खड़े करता है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियो में एक पुराना कुआं अब जमीन से करीब 20 फीट ऊपर लटकता नजर आ रहा है। इसकी वजह है – गांव में लंबे समय से चल रहा अवैध मिट्टी खनन।

मिट्टी निकाली गई, रह गया हवा में झूलता कुआं
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह कुआं कभी पूरे गांव के लिए जल का मुख्य स्रोत हुआ करता था। पर अब इसके चारों तरफ की मिट्टी को इस कदर जेसीबी मशीनों से खोद लिया गया है कि वह जमीन से कटकर एक टीले की शक्ल में रह गया है – चारों ओर केवल गड्ढे और सूखी दरारें हैं।

खनन माफिया की लूट, प्रशासन की चुप्पी
गांव निवासी रामाश्रय ने बताया कि रात 9 बजे से सुबह 4 बजे तक लगातार मिट्टी की खुदाई होती है। जेसीबी मशीनों और ट्रैक्टर-डंपरों की आवाज़ों से रात में सोना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि खनन स्थलों पर प्रशासन की आंख मूंद कर बैठी है। ग्राम प्रधान और पुलिस की चुप्पी ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है।

एक अन्य ग्रामीण, शांति देवी ने बताया कि उनके खेत से सटी सरकारी बंजर भूमि की भी मिट्टी निकाल कर बेच दी गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब मिलीभगत से हो रहा है।

कार्रवाई के नाम पर दिखावा
डॉ. अकिल अहमद, जिन्होंने गांव में एक बीघा ज़मीन खरीदी थी, ने बताया कि कुछ माह पूर्व रात में अचानक चार-पांच जेसीबी और दर्जनों ट्रैक्टर-डंपर उनकी जमीन पर आ धमके और मिट्टी ले जाने लगे। जब उन्होंने पुलिस को सूचना दी तो पुलिस मौके पर पहुंची, एक ट्रैक्टर को जब्त किया, लेकिन कुछ ही घंटों में उसे बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया गया।

डॉ. अकिल ने इस मामले की शिकायत एसपी, डीएम और खनन विभाग तक की, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। उनके अनुसार, करीब चार लाख रुपये की मिट्टी उनकी ज़मीन से अवैध रूप से निकाल ली गई।

प्यासा रह गया कुआं
कभी गांव की प्यास बुझाने वाला यह कुआं अब खुद प्यासा हो गया है। खनन माफिया की लूट की भूख ने पर्यावरण और जलस्रोतों को बर्बाद कर दिया है। यह दृश्य केवल एक कुएं की दुर्दशा नहीं, बल्कि उस सिस्टम की कहानी है जो मुनाफे के लिए कायदे-कानूनों को ताक पर रख देता है।

सवाल खड़े करता है यह मंजर
यह घटना न केवल प्रशासनिक निष्क्रियता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह अवैध खनन का लालच गांवों के अस्तित्व को ही निगलता जा रहा है। ज़रूरत है प्रशासनिक सख्ती की, वरना ऐसे और कुएं आसमान में झूलते और व्यवस्था ज़मीन पर गिरती नजर आएगी।

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