Kashi में बाबा विश्वनाथ का 1008 कलश से जलाभिषेक की परम्परा
वाराणसी । Kashi धर्म नगरी काशी में ज्येष्ठ माह की एकादशी ‘निर्जला एकादशी’ इस बार 31 मई को मनाई जाएगी। निर्जला एकादशी, भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। मान्यता है कि चराचर जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने जन कल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों सहित कुल 26 एकादशियों को उत्पन्न किया। इनमें ज्येष्ठ माह की एकादशी सब पापों का हरण करने और समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है। मान्यता यह है कि यदि आप पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं और निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं तो आपको संपूर्ण एकादशियों का फल स्वतः ही प्राप्त हो जाता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
Kashi शिवाराधना समिति के संस्थापक डॉ मृदुल मिश्र बताते है कि निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्व रखता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है। इस दिन मन, कर्म, वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही तामसिक आहार, परनिंदा एवं दूसरों के अपमान से भी दूर रहना चाहिए। भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है।
Kashi में बाबा विश्वनाथ का 1008 कलश से जलाभिषेक की परम्परा
निर्जला एकादशी पर काशी नगरी में भव्य शोभयात्रा निकाल कर बाबा विश्वनाथ के पावन ज्योर्तिलिंग पर 1008 कलश से जल अर्पित करने की परम्परा है। निर्जला एकादशी पर सुप्रभातम संस्था श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश यात्रा राजेन्द्र प्रसाद घाट से बाबा विश्वनाथ दरबार तक निकालती है। घाट पर हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद गौरी-गणेश व गंगा पूजन कर 1008 कलशों में गंगा जल भर कलश यात्रा में शामिल होते है। कलश यात्रा के आगे बढ़ते ही पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव, शंख ध्वनि, डमरुओं व अन्य वाद्ययंत्रों की थाप से गूंज उठता है। इसमें डमरू दल माहौल को शिवमय बना देता है। यात्रा दशाश्वमेध, गौदौलिया, बांसफाटक, ज्ञानवापी गेट नम्बर चार होते हुए श्री काशी विश्वनाथ दरबार तक पहुंचती है। यहां राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए देवाधिदेव महादेव के पावन ज्योर्तिलिंग पर कलशों का पवित्र जल अर्पित होता हैं । इसी क्रम में श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति भी गंगा तट से कलश शोभायात्रा यात्रा निकालती है।