
जन एक्सप्रेस/हरिद्वार : अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित दिव्य साधना स्थल शांतिकुंज में चल रहे संजीवनी साधना शिविर के दौरान सैकड़ों साधकों ने आत्मिक उन्नयन के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरणाप्रद विचारों का श्रवण किया। शिविर के एक विशेष सत्र में महिला मंडल की बहनों ने परिवार निर्माण से समाज निर्माण और फिर राष्ट्र निर्माण विषय पर प्रभावशाली विचार रखे।
बहनों ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र की असली इकाई परिवार होता है। यदि परिवार में संस्कार, नैतिकता, प्रेम, अनुशासन और दायित्वबोध की भावना विकसित हो जाए, तो इससे न केवल समाज सशक्त होता है, बल्कि एक उज्ज्वल और समरस राष्ट्र का निर्माण भी संभव होता है। उन्होंने कहा कि आज की सामाजिक, आर्थिक और नैतिक चुनौतियों से निपटने का एकमात्र समाधान है—संस्कारवान परिवारों की पुनस्र्थापना। परिवार ही वह प्रथम पाठशाला है, जहाँ व्यक्ति को जीवन के मूल मूल्य सिखाए जाते हैं। यदि यहाँ आधार मजबूत हो, तो व्यक्ति कहीं भी जाकर समाज और राष्ट्र की सेवा कर सकता है।
बहनों ने गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य और वंदनीया माताजी भगवती देवी शर्मा के जीवन और विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने सदैव परिवार को समाज सुधार का केंद्र बिंदु माना। आचार्यश्री कहते रहे हैं कि जब तक परिवार नहीं सुधरते, तब तक समाज सुधरने की कल्पना करना व्यर्थ है। और जब समाज नहीं सुधरेगा, तो राष्ट्र का भविष्य भी अधर में रहेगा। परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा ने कहती रहीं हैं कि स्त्रियों को गृहलक्ष्मी से राष्ट्रलक्ष्मी बनने के लिए चाहिए कि वह अपने घर-परिवार को संस्कारित कर राष्ट्र की रीढ़ बने।
शांतिकुंज द्वारा चलाई जा रही परिवार में धर्म स्थापना की पहल के अंतर्गत लाखों परिवारों तक गायत्री मंत्र, यज्ञ, स्वाध्याय और संस्कार अभियान पहुँचाया जा रहा है। इसके माध्यम से परिवारों में नियमित उपासना, एक साथ समय बिताने की परंपरा को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इस दौरान देश के कोने कोने से आये सैकड़ों नर नारी उपस्थित रही।






