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ईआरसीपी प्रोजेक्ट के पहले बांध नोनेरा-एबरा में आया पानी

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जयपुर । ईआरसीपी कैनाल परियोजना तहत बने प्रदेश के पहले नोनेरा-ऐबरा बांध के 27 गेटों की टेस्टिंग शुरू हाे गई है। इसके तहत कालीसिंध नदी के पानी को बांध में भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह टेस्टिंग 12 सितम्बर तक की जाएगी। इसमें आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति का आकलन होगा। इसके साथ ही, 54 क्यूबिक मीटर पानी पीने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इसके चलते स्टेट हाईवे-70 (कोटा से इटावा) पर आवाजाही पूरी तरह बंद है। इस दौरान देर रात से बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस का जाब्ता लगाया गया।

जल संसाधन विभाग के अनुसार शनिवार देर रात 12 बजे से टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू की गई थी। दोपहर तक बांध में 209. 15 मिलियन क्यूबिक मीटर जलस्तर था। इसे 217 मिलियन क्यूबिक मीटर तक भरा जाएगा। कालीसिंध ढिपरी पुलिया पर पांच फीट पानी आया है। बांध में तीन लाख 98 हजार क्यूसेक की आवक से पानी को रोका जा रहा है। नोनेरा में कालीसिंध नदी पर बने बांध में जलभराव के कारण ढिपरी-कालीसिंध पुलिया पर प्रभाव पड़ेगा। इस स्थिति के कारण स्टेट हाईवे 70 (कोटा-इटावा) पर आवागमन पूरी तरह से बंद है। इटावा के डीएसपी शिवम जोशी ने बताया कि पुलिया पर आवागमन को पूरी तरह से रोक दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए इटावा और बूढ़ादीत पुलिस को दोनों ओर तैनात किया गया है।

कोटा-इटावा के बीच आवागमन को सुचारू बनाए रखने के लिए वैकल्पिक मार्ग तैयार किए गए हैं। आठ सितंबर से कोटा जाने वाले यात्री सीसवाली और अंता होते हुए इटावा पहुंच सकेंगे। ट्रैफिक को गेता, माखीदा और लबान के रास्ते से चलाया जाएगा। साथ ही कालीसिंध नदी के आसपास के गांवों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। जल संसाधन विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आरके जैमिनी और सुपरीटेंडेंट इंजीनियर अनिल यादव ने बताया कि बांध का निर्माण पूरा हो चुका है। इसमें कुल 27 गेटों का निर्माण किया गया है। आठ सितंबर से 12 सितंबर तक इन गेटों की टेस्टिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि बांध की भराव क्षमता 226.65 मिलियन क्यूबिक मीटर है, इसमें से 54 क्यूबिक मीटर पानी पीने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इस परियोजना के तहत 442 करोड़ रुपए की लागत से कोटा, बूंदी, बारां के छह कस्बों और 749 गांवों को पेयजल आपूर्ति की जाएगी।

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में 2017 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का खाका तैयार किया गया था। इस परियोजना के अंतर्गत पार्वती, चंबल और काली सिंध नदियों को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई थी। इसके माध्यम से पूर्वी राजस्थान के जयपुर, अजमेर, करौली, टोंक, दौसा, सवाई माधोपुर, अलवर, बारां, झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी और कोटा को जल संकट से राहत मिलेगी।

 

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