देश

बर्फबारी न होने से क्यों टेंशन में आ गए हैं कश्मीर-लद्दाख के लोग?

कश्मीर की घाटी अक्सर दो वजहों से चर्चा में रहती आई है. पहला, अपनी खूबसूरत बर्फ से ढकी वादियों की कारण और दूसरा आतंकी घटनाओं को लेकर. लेकिन, बीते कुछ समय से यह घाटी इन दोनों ही कारणों से चर्चा में नहीं है. बल्कि अपनी खूबसूरती और बर्फबारी के लिए मशहूर कश्मीर इस साल सूखी सर्दियों से गुजर रही है. मतलब ये है कि इस साल कश्मीर में अब तक एक बार भी अच्छे से बर्फबारी नहीं हुई है.

भारतीय मौसम विभाग, श्रीनगर के निदेशक मुख़्तार अहमद ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि पिछले साल तक जनवरी के महीने में इस क्षेत्रों में औसतन 130.61 सेंटीमीटर बर्फबारी होती थी, इस साल अभी तक कोई बर्फबारी नहीं हुई है.

स्नोफॉल से नदारद रह जाने के कारण इस साल कश्मीर में आने वाले पर्यटकों में भी काफी गिरावट देखी गई है. पिछले साल तक गुलमर्ग सर्दियों में टूरिस्टों से गुलजार रहता है. हर साल यहां देश के अलग अलग कोने से लाखों की संख्या में लोग बर्फबारी का आनंद लेने पहुंचते हैं. लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2024 में बर्फ नहीं पड़ने के कारण पर्यटकों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. इसी के चलते यहां का पर्यटन उद्योग भी मंदा पड़ गया है.

ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि हर साल की तरह इस साल कश्मीर में बर्फबारी क्यों नहीं हुई, इसके पीछे क्या वजह है और इस मौसमी बदलाव का पर्यटन पर क्या असर हुआ है

कश्मीर में पहले भी रह चुका है बर्फ गायब

ये पहली बार नहीं है जब ठंड के मौसम में लद्दाख में बर्फबारी नहीं हुई है. लेह-लद्दाख के मौसम विज्ञान केंद्र ने कुछ आंकड़े साझा किए है जिससे पता चलता है कि साल 2016 और 1998 भी ऐसे ही भी कश्मीर और लद्दाख में बर्फ नहीं पड़ी थी.

स्नोफॉल नहीं होने का घाटी की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है. 

मौसम बहुत सारे घटनाओं पर अपना प्रभाव डालता है. इसलिए वजह चाहे कुछ भी हो लेकिन मौसम में हुआ छोटा सा भी परिवर्तन देश दुनिया में कई तरह के घटनाओं को जन्म देता है. कश्मीर में बर्फबारी नहीं होने के कारण इस मौसम में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है.

अधिकारियों का अनुमान है कि है कि साल 2022 की तुलना में इस बार पर्यटकों की संख्या में कम-से-कम 60 फीसदी की कमी आएगी. वहीं टूरिस्टों के नहीं आने के कारण स्की रिसॉर्ट्स (Ski Resort) और उससे जुड़े व्यवसायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है.

जम्मू कश्मीर में हर साल टूरिज्म से करोड़ों की कमाई होती है. जम्मू-कश्मीर की कुल जीडीपी का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा पर्यटकों से ही आता है. साल 2019 में इस क्षेत्र में आने वाले टूरिस्टों की संख्या 10 साल में सबसे कम थी. उस साल टूरिस्ट डिपार्टमेंट से जो आंकड़े जारी किए गए थे उसके अनुसार, 2018 की तुलना में यहां आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या में 60% की गिरावट दर्ज की गई.

पिछले 10 सालों में कितने पर्यटक पहुंचे कश्मीर 

सूचना और जनसंपर्क निदेशालय की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में कश्मीर में औसतन लगभग 10 लाख पर्यटक आए थे. इसी रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में 5 लाख से भी कम टूरिस्ट आए थे, उन 5 लाख में से साढ़े 4 लाख से ज्यादा टूरिस्ट जनवरी से जुलाई के बीच कश्मीर पहुंचे थे.
बर्फबारी नहीं होने के कारण टूरिज्म सेक्टर का कितना घाटा हुआ 

फिलहाल इसे लेकर कोई आधिकारिक रिपोर्ट तो साझा नहीं किया गया है. लेकिन अगर हम साल 2019 में आए पर्यटकों से तुलना करें तो उस साल केवल टूरिज्म सेक्टर से ही घाटी को 9 हजार 191 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

अब समझिए क्यों कश्मीर में नहीं हुई बर्फबारी 

दरअसल जम्मू कश्मीर और लद्दाख में मुख्यत शीतकालीन वर्षा होती है. ये बारिश हिमपात या बर्फबारी के रूप में होती है. आमतौर पर इन इलाकों में दिसंबर के महीने में ही पहली बर्फबारी हो जाती है और यह पूरी जनवरी तक चलती है. लेकिन इस बार जनवरी बीतने को है लेकिन अब तक बर्फ पड़ने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़े भी कुछ इसी तरफ इशारा करते नजर आ रहे हैं. हालांकि ये गिरावट अचानक नहीं हुई है. बल्कि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि समय बीतने के साथ ही इन क्षेत्रों में बारिश की मात्रा में कमी होती आई है.

अब सवाल उठता है कि इसके पीछे का कारण क्या है? दरअसल मौसम वैज्ञानिक साल दर साल कम हो रही बर्फबारी का कारण तापमान में बढ़ोतरी और पश्चिमी विक्षोभ को मान रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल पूर्वी प्रशांत महासागर में अल नीनो घटना बर्फबारी न होने का एक बड़ा कारण हो सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button