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महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर क्या करें अर्पित, क्या है पूजा की सही विधि ? जाने यहाँ

जन एक्सप्रेस/मनु शुक्ला/लखनऊ : फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म के सबसे पावन पर्वो में से एक है। धार्मिक दृष्टिकोण से इस पर्व के बहुत से महत्त्व हैं। हिन्दू धर्म में ये मान्यताएँ है कि इस दिन विशेष रूप शिवलिंग की पूजा करने और भगवान शिव का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक़ इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। तो इस दिन उन्हें प्रसन्न करने वाले भक्तो पर वे अपनी विशेष कृपा दृष्टि बरसाते है। तो आइये विस्तार से जानते है, पर्व के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर क्या अर्पित करें
दूध: दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है जिसे शिवलिंग पर अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है।
दही: दही शुक्र का प्रतीक हैं इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से जीवन में समृद्धि आती है।
शहद: शहद को सूर्यदेव का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से तेज और यश की प्राप्ति होती है।
घी: घी को अग्नि का प्रतीक माना जाता है जिसे शिवलिंग पर अर्पित करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
गंगाजल: गंगाजल को मोक्ष का प्रतीक माना जाता है और भगवान शिव का इससे जलाभिषेक करने से सभी पाप नष्ट होते हैं।
बेल पत्र: बेल पत्र भगवान शिव का प्रिय माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
धतूरा: धतूरा भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से शत्रुओं का नाश होता है।
फूल: फूल प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
चावल: चावल अन्न का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा मुहूर्त
प्रथम प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से रात 12 बजकर 34 मिनट तक
तृतीय प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी की रात 12 बजकर 34 मिनट से सुबह 03 बजकर 41 मिनट तक
चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक ।।

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जाता है मनाया

महाशिवरात्रि पर निशिता काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष निशिता पूजा का शुभ समय देर रात 12:09 बजे से 12:59 बजे तक रहेगा। यह समय तंत्र, मंत्र और सिद्धि के दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरूआत कल यानी 26 फरवरी को प्रातः 11:08 मिनट से होगी और इसका समापन 27 फरवरी को प्रातः 08:54 पर होगा।

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली शिवरात्रि का अत्यधिक महत्व है। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसे शिव-पार्वती के मिलन का दिन भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन शंकर जी और देवी पार्वती की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और सभी दुखों का निवारण करते हैं। इस अवसर पर महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन भक्त व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इस दिन जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन शिव की कृपा से व्यक्ति के सभी दुखों का अंत होता है और उसे सुख-समृद्धि का वास होता है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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