लखनऊ

मायावती की नीदें उड़ा सकता है अखिलेश यादव

Listen to this article

उत्तर प्रदेश:  पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मयावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल दलितों को बसपा का वोट बैंक माना जाता है लेकिन अब सपा भी इसमें सेंध लगाने की कोशिश में है। दलित वोटरों को ध्यान में रखते हुए समाजवादी पार्टी स्वतंत्रता सेनानी ऊदा देवी पासी की पुण्यतिथि पर पार्टी मुख्यालय में कार्यक्रम करने वाली है। स्वतंत्रता सेनानी ऊदा देवी पासी ने 1857 के विद्रोह के दौरान देश के लिए अपना बलिदान दिया था। उनका सम्मान करने वाला यह कार्यक्रम राज्य में सपा के लिए अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है।

पार्टी नेताओं का कहना है कि कार्यक्रम के पीछे का उद्देश्य मध्य यूपी क्षेत्र के पासी समुदाय तक पहुंचना है। पार्टी नेताओं ने कहा, “यूपी में बसपा अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में राज्य के दलित मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सपा को एक मौका दिख रहा है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि समुदाय हमें भविष्य के चुनावों में बसपा के विकल्प के रूप में चुने।”

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सपा नेता ने कहा, “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अंबेडकरवादी और लोहियावादियों को एक साथ लाने की बात करते रहे हैं। इस कार्यक्रम के साथ भी हम ऐसा ही करने की कोशिश कर रहे हैं। 2019 के बाद जब मायावती जी ने हमारी पार्टी से गठबंधन खत्म किया, तब से कई महत्वपूर्ण दलित नेता हमारे साथ जुड़े हैं।” यूपी में दलितों ने राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए मायावती के नेतृत्व वाली बसपा पर हमेशा ही भरोसा किया है, लेकिन इस साल राज्य के चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बसपा 403 में से सिर्फ एक सीट ही जीत सकी।

सपा के एक अन्य नेता ने कहा, “(दलित) समुदाय देख रहा है कि बसपा सीटें जीतने के लिए पर्याप्त वोटों को साध नहीं पा रही है। उस स्थिति में, जिस सपा को पहले से ही मुसलमानों और यादवों का काफी समर्थन प्राप्त है, वह समुदाय के लिए एक व्यवहार्य विकल्प बन सकती है।” सपा पारंपरिक रूप से अपने M+Y (मुसलमान + यादव) फॉर्मूले पर निर्भर रही है। मध्य यूपी क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदाताओं वाले पासी समुदाय तक पहुंचने की कोशिश करके, वह बसपा के पारंपरिक मतदाताओं पर पकड़ बनाने की उम्मीद कर रही है।

हालांकि ये लड़ाई एकतरफा नहीं है। मायावती भी मैदान में हैं। मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी सपा के पारंपरिक मतदाताओं यानी मुसलमानों के साथ भी ऐसा ही करने की कोशिश कर रही है। बसपा अपने राजनीतिक पुनरुद्धार के लिए मुस्लिम वोटों को अपने साथ जोड़ने के लिए उत्सुक है। मायावती बार-बार कह रही हैं कि बसपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जो राज्य में भाजपा को हरा सकती है।

मायावती ने कहा था कि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत घटकर महज 12.8 फीसदी रह गया। इसका कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा था कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी (सपा) के पीछे अपनी किस्मत झोंक दी थी। जिसके परिणामस्वरूप सपा के “जंगल राज” को बाहर रखने के लिए भाजपा को दलितों, ऊंची जाति के हिंदुओं और ओबीसी का समर्थन मिला। सपा नेताओं का कहना है कि ऊदा देवी पासी पर कार्यक्रमों के जरिए दलित समाज तक पहुंचने की पार्टी की ताजा कोशिश को अन्य जिलों में ले जाया जाएगा।

आयोजन का प्रभार संभालने वाले सपा के मनोज पासवान ने कहा, “प्रारंभिक कार्यक्रम पार्टी मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा, लेकिन हमारे पास रायबरेली, बाराबंकी और उन्नाव जैसे लखनऊ के पास के जिलों में कार्यक्रम होंगे।

Show More

Related Articles

Back to top button