गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर राज्य सरकार एक कमेटी गठित कर सकती है। यह कमेटी राज्य में समान नागरिक संहिता की संभावनाओं को तलाशाने के साथ ही यह कमेटी विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करेगा। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड की ही तरह इस कमेटी का हेड हाई कोर्ट के रिटायर जज होंगे। सूत्रों के मुताबिक गुजरात के गृहमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड की संभावनाओं को तलाश कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम इस पर एक कमेटी गठित करने की योजना बना रहे हैं।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का ऐलान किया है। हालांकि, गुजरात में इस विषय को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन माना जा रहा है कि 1 या 2 नवंबर को चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भाजपा बड़ा दांव खेल सकती है। चुनाव से पहले उत्तराखंड में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला था। सरकार आने के बाद इसे लागू भी किया गया। आपको बता दें कि गुजरात हिंदुत्व की प्रयोगशाला रहा है। गुजरात में हमेशा से भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे को आगे रखती रही है। इस बार गुजरात चुनाव में भी भाजपा एक बार फिर से हिंदुत्व के मुद्दे को आगे लाने जा रही है। इसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा काफी बड़ा हो सकता है। 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाया था। इसके बाद से पार्टी लगातार हर चुनाव में इस मुद्दे को अपना एजेंडा बनाती रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा पत्र में भी भाजपा ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था। भाजपा ने साफ तौर पर कहना है कि जब तक इसे अपनाया नहीं जाता, तब तक लैंगिक समानता समाज में नहीं आ सकती।