उत्तराखंड

प्लास्टिक प्रतिबंध की स्थिति का आंकलन स्वय मुख्य न्यायाधीश करेंगे

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नैनीताल  ।  उत्तराखंड में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बार-बार दिए आदेशों का पालन न होने के बाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने अब स्वयं विभिन्न जगहों का दौरा करने तथा स्थिति का आकलन करने का बीड़ा उठाया है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आदेश को वास्तव में जमीन पर लागू नहीं किया गया है और इसका पालन केवल कागजों में हो रहा है।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने कहा कि स्थिति का आकलन स्वयं उनके, अन्य न्यायाधीशों तथा अदालत के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी शुरूआत आठ सितंबर को दोपहर दो बजे से धानाचूली से की जाएगी। निरीक्षण समिति में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जनहित याचिका दायर करने वाले राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, सरकारी अधिवक्ता, जिलाधिकारी , जिला पंचायत अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारी शामिल रहेंगे। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में आगे की कार्रवाई इस निरीक्षण के परिणाम के अनुसार होगी।

इससे पहले, उच्च न्यायालय ने सभी जिलाधिकारियों से 2017 में तय किए गए नियमों के अनुसार प्लास्टिक कूडे़ के सही ढंग से निस्तारण की दिशा में काम करने को कहा था। उच्च न्यायालय के ये आदेश अल्मोडा निवासी जीतेंद्र यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर आए थे। अदालत ने जिलाधिकारियों से मामले में न्यायालय में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा था। हालांकि, अदालत में कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गयी। वर्ष 2017 के नियमों में कहा गया है कि प्लास्टिक आपूर्तिकर्ता जितने प्लास्टिक की आपूर्ति करेंगे, उतनी ही मात्रा में प्लास्टिक वापस लेंगे और उसका पुनर्चक्रीकरण करेंगे।

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