चित्रकूट

बारिश में मुख्यालय से कट जाता है दर्जनों गांवों का संपर्क,चमरौहा पुल बनाने की मांग आज भी अधूरी

बरसात के मौसम में हजारों ग्रामीणों की जिंदगी हो जाती कैद

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इमरजेंसी होने पर नदी उतरने का का करते हैं इंतजार

चित्रकूट। जन एक्सप्रेस 
बारिश के दिनों में जिले की प्राय: सभी नदियां उफान पर रहती हैं। इनमें से कुछ नदियों का पानी पुल के ऊपर से बहता है, तो कुछ खतरे के निशान के करीब रहता है। जिन नदियों में पुल नहीं है, वहां के लोगों की समस्याएं और अधिक बढ़ जाती है। पाठा की बरदाहा नदी के उफानाते ही दर्जनों गांवो का मुख्यालय से संपर्क कट जाता है। यहां के लोगों के लिऐ बारिश का मौसम आफत बनकर आता है। दर्जनों गांवो के लोगों की जिंदगी बरसात के महीने में कैद सी हो जाती हैं। बरसात के दिनों में सरकार की हर इमरजेंसी सेवा यहां विफल साबित होती है। नदी में बाढ़ के कारण दर्जनों गांव टापू बन जाते हैं। पानी रपटे के ऊपर चलने से आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाता है। जिससे चमरौहा, सकरौहा, मऊ गुरदरी, रानीपुर, गिदुरहा समेत दर्जनो गांवों का संपर्क मुख्यालय से कट जाता है।
तेज बहाव के कारण लोग पुल के दोनों ओर फंसे जाते हैं, और उन्हें नदी का पानी कम होने का घंटों इंतजार करना पड़ता है। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह से लोग पुल के दोनों ओर खड़े हैं, और कुछ लोग खतरों से खेल कर नदी पार कर रहे हैं।
इलाज के अभाव मे गवां चुके जान
शासन भले ही लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कह रहा हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। कई गांवों में सड़क का अभाव है तो कहीं पर पुल-पुलिया का अभाव बना हुआ है। जिले के कई गांवों में इस तरह की स्थिति देखी जा सकती है। इस कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बरदहा नदी का चमरौहा पुल में तेज बहाव होने के कारण अगर कोई बीमार हो जाता है तो उसे समय से इलाज न मिलने से मौतें हो जाती है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। पुल न होने की वजह से कई लोग जन गवां चुके हैं।
जान जोखिम में डाल निकलते लोग 
पुल नहीं बना होने से लोग नदी में बहाव होने पर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर आरपार करते हैं। जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ता  है। तो वहीं जान भी जोखिम में बनी रहती है। जबकि कई बार लोग नदी में बहते हुए बचे हैं। उनकी परेशानी बारिश के मौसम में और ज्यादा बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि नदी में पानी बढ़ते ही उनका दूसरी जगहों पर जाने का संपर्क टूट जाता है। लोगों का कहना है कि इस समस्या के बारे में कई बार प्रशासन जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया है। इसके बावजूद आज तक कुछ नहीं हो पाया है। उनका कहना है कि नेता लोग वोट लेने के समय ही आते हैं उसके बाद गांव में क्या परेशानी उसे देखने के लिए नहीं आते हैं।
लंबे समय से पुल बनाने की मांग नहीं हुई पूरी 
चमरौहा नदी में बने रपटे पर पुल निर्माण की मांग बहुत लंबे समय से चल रही है। लेकिन अभी तक शासन – प्रशासन की ओर से कुछ भी कार्यवाही नहीं हुई है। समस्या को दूर करने कई बार अधिकारी, जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई है, इससे जिम्मेदारों के साथ सिस्टम के प्रति आक्रोश देखने को मिल रहा है। दरअसल क्षेत्र में दर्जनों गांव में नदी, नालों पर पुल की जगह रपटा बना है, जिसकी ऊंचाई जमीन से कुछ ही फीट की है। ऊंचाई कम होने से चार महीने तक थोड़ी बारिश से होने पर भी पुलिया के ऊपर पानी आ जाता है और रास्ता बंद हो जाता है। इस समस्या से लोग लंबे समय से जूझ रहे हैं, लेकिन निराकरण नहीं होने से बारिश के महीनो में हर साल परेशानी उठाना पड़ती है। इन पुलिया से दर्जनों गांव के हजारों लोग आते-जाते हैं।
बरदहा में उफान,जन जोखिम में डाल निकल रहे लोग
शनिवार को बरदहा नदी में तेज बहाव होने  से आवागमन पूरी तरह से ठप्प रहा। दर्जनों गांवो का संपर्क कट जाने से उनकी जिंदगी खतरे मे हो जाती है। अगर किसी की तबियत खराब हो जाती है तो नदी का पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है, इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। शनिवार की शाम को ट्रैक्टर में बैठकर आधा दर्जन लोग नदी को पर कर रहे थे तभी अचानक बहाव तेज होने से ट्रैक्टर अनियंत्रित हो गया और लोग घबरा गए। फौरन सब लोग उतरकर ट्रैक्टर को किसी तरह से बाहर निकाला। ऐसे में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

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