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महंगा हो जाएगा गैर बासमती चावल का निर्यात महंगा

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नई दिल्ली । देश में चावल की बढ़ती कीमतों और धान की बोआई का रकबा घटने के बाद पैदावार में कमी की आशंका के चलते सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का एलान किया है। इससे विदेश में चावल भेजना महंगा हो जाएगा। यह फैसला आज से लागू होगा।

सरकार ने यह फैसला खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के सिफारिशों के बाद लिया है। मंत्रालय ने पीडीएस और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए पर्याप्त स्टाक रखने के लिए चावल के निर्यात पर कर लगाने की सलाह दी थी।

घटा धान का रकबा
कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण चालू खरीफ सीजन में धान की फसला का रकबा 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भारत है। वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। धान खरीफ की मुख्य खरीफ फसल है। इसकी बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और अक्टूबर से कटाई शुरू होती है।

पिछले फसल वर्ष में चावल का उत्पादन बढ़कर रिकॉर्ड 130.29 मिलियन टन हो गया, जो कि 2020-21 में 124.37 मिलियन टन था। लेकिन इस वर्ष इसमें काफी कमी देखी जा जा रही है। सरकार ने पहले ही गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है।

घरेलू हालात को देखते हुए किया गया फैसला
वित्त वर्ष 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया गया है। इसमें लगभग 31 लाख टन बासमती चावल था। देश ने 2021-22 में 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया। आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने निर्यात शुल्क का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय चावल को बहुत कम कीमत पर निर्यात किया जा रहा है। कर लगाने से गैर बासमती चावल के निर्यात में 20 से 30 लाख टन की कमी आएगी।

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