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नाम से मुलायम, भावना से फौलादी, जिन्होंने बदला भारतीय राजनीति का लुक
भारतीय राजनीति में मुलायम के दांव को पटखनी देना किसी घाघ नेता के लिए भी आसान नहीं रहा। कोई भले ही मुलायम पर यह आरोप लगाए कि उनका समाजवाद परिवार के अंदर सिमट कर रह गया है। लेकिन अपने कुनबे को साथ लेकर दशकों तक राजनीति के शिखर पर रहने का जो मिसाल मुलायम सिंह ने पेश किया है उसका कोई सानी नहीं। किसी दौर में एक परिवार से, सांसदों और विधायकों का रिकार्ड जो यादव परिवार का रहा उसके आसपास कोई नहीं फटकता। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुश्ती के मैदान से उतरने के बाद मुलायम सिंह यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह कल्याण सिंह सहित अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की श्रेणी में आने वाले समुदायों से राज्य में उस वर्ष जीतने वाले पहली बार जीतने वालों में से थे।